सुंदर पहाड़ियों के बीच अवस्थित है किशोरपुरा की आराध्य देवी माता चामुंडा का मंदिर गांव के सामने जलती है ज्योति
उदयपुरवाटी (सुमेर सिंह राव)
शेखावाटी के गुढा क्षेत्र के अरावली पर्वतमाला व मरुस्थली टीले के बीच बसे ग्राम किशोरपुरा की पहाड़ी पर बना चामुण्डा माता का मंदिर भक्तों के लिए बड़ा चमत्कारी है मान्यता के अनुसार यहां पर संकट में आया हुआ व्यक्ति कभी खाली हाथ नहीं लौटता मां शक्ति चामुंडा का मंदिर करीब 76 वर्ष पुराना है कथा के अनुसार गुलाराम जो अक्सर बकरियां चराने के लिए पहाड़ियों पर जाया करता था हर पल माता का नाम अपनी जुबान पर रखता था एक दिन वह भक्ति से भाव विभोर होकर पहाड़ी पर गया तो उसे अचानक पहाड़ी की खोल में घंटियों की आवाज सुनाई देने लगी पहाड़ी धराने लगी अंधेरा छाने लगा इस घनघोर दृश्य को देखकर गुलाराम घबरा उठा इसी समय आकाशवाणी हुई बेटा डरो मत मैं माता चामुंडा हूं तुम मेरे पत्थर की मूर्ति को ऐसी जगह स्थापित करना जिस की ज्योत गांव के सामने हो बेटे आगामी घोर कलयुग में जो भी मेरी आराधना करेगा और मेरे से मन्नत मांगेगा उसकी हर मनोकामना पूरी करूंगी इतना कहकर माता वहां से अंतर्ध्यान हो गई
यह पूरा वृतांत गुलाराम ने ग्रामीणों को बताया तो भक्तो ने मिलकर पहाड़ी पर माता चामुंडा की मूर्ति स्थापना कर दी, यह मंदिर माल केतु की पहाड़ों के समीप बहुत ही सुंदर जगह पर अवस्थित है माता जी की अनुपम गोद में बसे किशोरपुरा गांव के लोग देवी माता को अपने आराध्य देवी के रूप में मानते हैं माता के भक्त सुरेश मीणा किशोरपुरा ने बताया कि पहले यहां पर व्यवस्थाओं की कमी थी लेकिन पिछले काफी समय से माता के भक्तों ने आगे आकर इस मंदिर का काफी डवलपमेंट किया है । यहां पर सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं इन दिनों में मंदिर पर श्री तुंरत नाथ महाराज माता की आराधना में लगे हुए हैं इनके आने के बाद मंदिर में नियमित रूप से पूजा पाठ होती है महाराज के कर्म और हंसमुख स्वभाव के कारण दूरदराज से भक्तों का आना जाना लगा रहता है इस बार नवरात्रों में तुरंत नाथ के सानिध्य में पंकज मीणा राम सिंह रोहित मनकसास सहित कई कई भक्तों के द्वारा विशेष अनुष्ठान चल रहा हैं, माता के मंदिर तक एक तरफ सीढ़ियों का दूसरी तरफ वाहनों के लिए रास्ता बनाया गया है माता जी के मंदिर परिसर में पहाड़ी को काटकर विलायती कीकर को साफ कर मैदान निकाला गया है, माता जी के मंदिर के पीछे भेरुजी बगल में शिव परिवार सामने बालाजी की मूर्ति विद्यमान है पीने के पानी के लिए टंकी व जंगली जानवरों को देखते हुऐ खेल जलासय का निर्माण कराया जा चुका है नवरात्रों में माता की भक्तों का तांता लगा रहता है, 2011 में बहुत भव्य धार्मिक कार्यक्रम हुआ था सनातन संस्कृति का यह बड़ा आगाज था पिछले काफी दिनों से माताजी के भक्त राम कुमार मीणा श्रीराम कुमावत सुशील कुमावत अभिजीत सिंह अजीत सिंह सुधीर मीणा लक्ष्मण राम विनोद मास्टर भीवाराम गुरुजी गंगाधर भगवती प्रसाद, गीगराज, राकेश किशन मोहन लाल जेपी,,,,भरपूर सहयोग देते रहते