मेड़ता के राज्य स्तरीय पशु मेले में पशुओं की थैली से पानी पीने को मजबूर व्यापारी एवं पशुपालक
पूरे मेले में पशुओं एवं पशुपालकों व्यापारियों के पीने के लिए मात्र एक पानी की खेली की व्यवस्था
पानी पीने की खेली के चारों तरफ फैल रही कीचड़ ही कीचड़
मेडतासिटी (नागौर, राजस्थान/ तेजाराम लाडणवा) नागौरी नस्ल के बैलों और अन्य पशुधन के व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेड़ता में आयोजित प्रदेश स्तरीय बलदेव राम पशु मेला अधिकारियों की मनमानी और लालफीताशाही के चलते पशुपालकों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। 2 अप्रैल से आरंभ हुए 15 दिवसीय इस पशु मेले में कोरोना काल के पश्चात जहां भारी संख्या में पशुपालन व खरीदार मेले में पहुंच रहे हैं वही मेला आयोजकों एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मेला आयोजकों द्वारा मेले में ना तो सस्ती दरों पर खानपान की कोई व्यवस्था की गई ना ही इंदिरा रसोई के माध्यम से पशुपालकों को सस्ते दामों पर दो टाइम का खाना उपलब्ध कराया जा रहा है।
मेले की व्यवस्थाओं के हालात यह है कि प्रधानमंत्री की खुले में शौच मुक्त भारत अभियान को भी दरकिनार कर शौचालय और पीने के पानी की भी माकूल व्यवस्था नहीं की गई है मेले में आए पशुपालक मजबूरी में खुले में ही शौच करने को विवश है। हजारों की तादाद में पहुंच रहे पशुपालकों के लिए मेला आयोजकों द्वारा केवल मात्र एक टैंकर पानी मंगाकर खानापूर्ति की जा रही है। पशु पालकों द्वारा अधिकारियों पर पशुधन को रवानगी देने से इनकार करने का आरोप भी लगाया साथ ही उन्होंने कहा कि मेला आयोजकों द्वारा केवल नागौरी नस्ल के ही बैलों को रवाना दी जाएगी अन्य किसी नस्ल के बैलों को रवानगी नहीं दी जाएगी। इन आरोपों के जवाब में अधिकारियों ने माना कि पशुओं की रवानगी 9 तारीख से पहले नहीं दी जाएगी जबकि पूर्व में कई व्यापारी पशु खरीद कर रवाना किए गए थे।
मेड़ता के राज्य स्तरीय बलदेव राम पशु मेले को मजबूरी मानकर कार्य कर रहे अधिकारी मेले की बदइंतजामी के आरोपों को सिरे से खारिज करते दिखाई दिए। फोटो मेले में जहां एक और अच्छी अच्छी नस्ल के पशुओं को लेकर पशुपालन पहुंच रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की कारगुजारी से पशु प्रतियोगिता तक पशुपालक नाराज होकर जाते दिखाई देने से यह स्पष्ट हो रहा है कि मेले की व्यवस्थाओं को लेकर पशुपालक संतुष्ट नहीं है। राज्य सरकार द्वारा आयोजित राजस्थान की उत्तम नस्ल एवं पशुधन को सुरक्षित करने के उद्देश्य से आयोजित किए जाने वाले मेले प्रशासनिक अधिकारियों की लालफीताशाही और हठधर्मिता के चलते अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं जो पशुपालकों सहित राजस्थान की परंपराओं के लिए चिंता का विषय है।