जैन समाज कामां द्वारा चलाई जा रही ई-व्रत मुहिम से जुड़े युवा- आचार्य विनीत सागर
कामां (भरतपुर, राजस्थान) जैन धर्म के अनुसार पाप पांच प्रकार के होते हैं हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह। इन सब पापों से निवृत होने हेतु जो नियम लिया जाता है वह व्रत कहलाता है यह दो प्रकार के श्रावकों के लिए अणुव्रत और साधुओं के लिए महाव्रत के रूप में होते हैं। प्रत्येक श्रावक एवं साधु को अपने व्रतों का पालन अवश्य करना चाहिए क्योंकि व्रतों के पालन से ही पाप का शमन होता है और कर्मों की निर्जरा होती है उक्त उद्गार कामा के विजय मती त्यागी आश्रम में वर्षायोग रत आचार्य विनीत सागर महाराज ने गुरु भक्ति के दौरान व्यक्त किए।
आचार्य ने कहा कि जीवन में व्रतों का बहुत महत्व होता है क्योंकि व्रत रखने से हम पुण्य का अर्जन तो करते ही हैं साथ ही कर्मों का भी क्षय करते हैं। आचार्य ने कहा कि जैन धर्म में भाद्र माह को सबसे श्रेष्ठ माह कहा जाता है। इसमें सभी को छोटे-छोटे व्रत, नियम आदि ग्रहण करते हुए अपने जीवन में जितना अधिक हो सके उतना संयम साधना का उपाय करना चाहिए। आचार्य ने आगाह करते हुए कहा कि वर्तमान में हम सब एक बहुत बड़े नशे की लत में पहुंच चुके हैं जो कि प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में नजर आता है और मस्तिष्क में 24 घंटे उमड़ता रहता है उसे मोबाइल कहते हैं।
जैन समाज कामा द्वारा बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय ई व्रत मुहिम चलाई जा रही है। जिसमें युवक-युवतियां, महिला- पुरुष रात्रि को तो मोबाइल पर इंटरनेट का त्याग कर ही रहे हैं साथ ही दिन में भी अपनी क्षमता के अनुसार इंटरनेट से दूरी बना रहे हैं। इंटरनेट के माध्यम से व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, यूट्यूब,ट्विटर, ऑनलाइन गेम्स,फ़िल्म आदि मनोरंजन के कार्यों में व्यस्त रह कर स्वयं के स्वास्थ्य एवं समय का नुकसान किया जा रहा है। अतः अधिक से अधिक लोगों को ई व्रत मुहिम से जुड़ना चाहिए।
हरिओम मीणा की रिपोर्ट