प्रशासनिक अधिकारी और व्यापारी एक ही परिवार के सदस्य, इस महामारी में सामंजस्य बनाकर चलें:-वीरेंद्र कोठारी
ये प्रशासनिक अधिकारी महामारी में दुकानदारी, भय के साये व्यापारी, चार विभाग का बाजार में फेरा, जुर्माना भरे या परिवार चलाएं
लक्ष्मणगढ़ (अलवर,राजस्थान) कोरोना महामारी को चलते हुए 14 महीने व्यतीत हुए। बार-बार लॉकडाउन के चलते अब आमजन आर्थिक तंगी से जूझ नहीं लगा है चाहे व्यापारी हो या आमजन सरकार ने अपनी गाइडलाइन के अनुसार 11:00 बजे तक खाद्य पदार्थ, दूध, सब्जी, मेडिकल की दुकानों को खोलने के लिए अनुमति दी गई है। जनता गाइडलाइन के अनुसार ही चलने भी लगी है जब बाजार में 11:00 बजे तक का समय इन दुकानदारों के लिए है तो फिर प्रशासन का बाजार में आना क्यों जब 11:00 बजे तक बाजार खुलता है तो बाजार पर प्रशासन हावी हो जाता है चार चार विभाग एक साथ बाजारों में डंडे के साथ निकले और डंडे के दम पर जुर्माना राशि वसूल की जाती हो ऐसे में व्यापारी क्या अपने घर परिवार के लिए ले जा पाएगा जबकि घर परिवार जन यह आशा और उम्मीद के साथ रहते हैं कि हमारे पापा दुकान से कुछ कमा करके लाएंगे पर पापा दुकान से कमा कर लाने की तो बातें छोड़ो मम्मी के गांठ के और ले जाते हैं जब प्रशासन महा जुर्माना राशि वसूल करने जाता है
कस्बे के अंदर किसी की 5000 की किसी की 6000 की किसी की 7000 की यहां तक की₹11000 तक की भी जुर्माना राशि काटी गई है। इस तरह की जब रसीदें काटने लगे। तो व्यापारी अपनी दुकान पर जाने से पहले अपने सभी देवों से विनती करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करता है कहीं प्रशासन ना आ जाए कम आना तो दूर जुर्माना भरना पड़ जाए। ऐसे में जो व्यापारी अपनी पत्नी से जुर्माने के लिए पैसे और ले जाए तो पति पत्नी में भी तनाव और मतभेद चलने लगे हैं। आज व्यापारियों की स्थिति बड़ी खराब होने लगी है इधर उनके दुकानों में गोदामों में खाद्य सामग्री को चूहे खराब करने लग रहे हैं किसी की डेट एक्सपायर हो रही है तो व्यापारी के सामने बड़ी मुसीबत है।
प्रशासन का काम है कि 11:00 बजे के पश्चात अगर कोई दुकान खुलती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं जब व्यापारियों का हक है 11:00 बजे तक दुकान खोलने का उस दौरान क्यों जुर्माना राशि वसूलते हैं। कई परिवारों की कई व्यापारियों की यह स्थिति है कहावत जो है कि मर रहे हैं पर जिक्र नहीं कर रहे हैं। कहे तो किस से कहें क्योंकि यहां कोई मरहम लगाने वाला नहीं। अब बेचारे गांव से आने वाले लोग जिन्हें खाद्य सामग्री चाहिए वह अपने निश्चित टारगेट बनाकर के एक पैमाने के अनुसार फला फला सौदा कितने का आएगा लिस्ट बना करके आते हैं पर उन्हें क्या पता उन्हें रास्ते में चार चार विभाग घेर ले तो घर पर राशन तो क्या अपनी आंखों से अपने दिल से आंसू बहाते हुए चले जाता है
पुलिस गाड़ी को पकड़ लेती है उसका जुर्माना भरना पड़ता है, तहसील प्रशासन अलग जुर्माना वसूल कर लेता है, पंचायत समिति विकास अधिकारी अलग अपना जुर्माना वसूल कर लेता है, उपखंड अधिकारी अपना अलग जुर्माना वसूल कर लेता है इस तरह जब कस्बे के अंदर चार चार डंडा धारी घूमे तो कैसे चले व्यापार कैसे करें कोई खरीददारी। अतः अब ग्राहक और व्यापारी यह जुर्माना की राशि से तंग आ गए हैं और इन पर स्थानीय प्रशासन रहम बरतें तो मालिक भी रहम बरत पाएगा। किसी दुकानदार का एक बार का जुर्माना राशि वसूल हो वह तो बात ठीक है पर तीन-तीन बार अगर जुर्माना राशि वसूल होती हो तो व्यापारी व्यापार नहीं आत्महत्या पर भी तुल जाएगा सुनने में आ रहा है कस्बे के अंदर गार्ड को लगाया गया है गार्ड को अपना घर का सामान भी निशुल्क चाहिए व्यापारियों से, और व्यापारी अपने को संजीदगी भी निभा रहे हैं अब कस्बे के अंदर गोलू के अंदर ग्राहक को खड़ा करने लगे हैं।जबकि प्रशासन को गार्डों के द्वारा मास्क पर निगरानी, सोशल डिस्टेंसिंग पर निगरानी बनाए रखें यहां तक तो ठीक है पर प्रशासन की इस तरह डंडे के बल पर जुर्माना राशि वसूल करना अपनी राठौड़ी दिखाना यह कहीं तक ठीक नहीं है।
इधर व्यापारी बंधुओं से भी प्रशासन अपना सहयोग चाहता है की कालाबाजारी ना करते हुए दुकानों पर रेट लिस्ट लगे। ताकि ग्राहक भी खुश रहें और संतुष्ट रहें। वैसे तो आमजन से राम तो रुठा पर राज को तो नहीं रूठना चाहिए आखिर व्यापारी भी आप ही के भाई बंधु हैं यह भी आपके परिवार के हिस्से हैं हर सुख दुख में व्यापारी ही काम आते हैं। अगर किसी के पास मास्क नहीं तो इसका मतलब यह नहीं कि ₹1000 का जुर्माना वसूले। जुर्माना लाखों की संख्या में एकत्रित हो चुका है अब कुछ प्रशासन ने ही अपनी तरफ से एक मास्क दे सकते हैं बार-बार कोई व्यक्ति अगर गलती करता है उस पर जुर्माना लगना वाजिब है। जुर्माना राशि का कम से कम क्षेत्र में सोडियम हाइड्रोक्लोराइड का छिड़काव ही हो जाए तो भी जनता महामारी से बच सकती है।
- रिपोर्ट- गिर्राज सौलंकी