टिड्डीदल के बाद अब सफेद लट कर रही फसलो को नष्ट, किसानो की बढ़ी चिंता व परेशानी

Aug 18, 2020 - 01:58
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टिड्डीदल के बाद अब सफेद लट कर रही फसलो को नष्ट, किसानो की बढ़ी चिंता व परेशानी

बयाना,भरतपुर 
बयाना 17 अगस्त।  बयाना में टिड्डीदलों के हमलों के बाद अब सफेद लट नामक बीमारी किसानों के अरमानों पर पानी फेरने का काम कर रही है। जिससे किसान काफी परेशान और चिंतित है। किसानों की माने तो उनकी सबसे बडी चिंता व परेशानी इस बात को लेकर है कि खेतों में खडी फसल को बचाने के लिए इस बीमारी से उन्हें अपने दम पर ही जंग लडनी है। सरकार या कृषिविभाग की ओर से इस बीमारी को हराने के लिए ना कोई सहायता और ना ही कोई राहत या मार्गदर्शन मिल पा रहा है। गांव महरावर के किसान अतरूपसिंह, गुर्धाडांग के मेघसिंह, नगला छैला के अतरसिंह व ब्रम्हबाद के हरिसिंह, आदि किसानों ने बताया कि सफेद लट नाम की यह बीमारी बाजरा की फसल में लगी है। सफेद लट एक सर्वभक्षी कीट है। जो देखने में गिनार जैसा और काफी मोटा होता है। यह सफेद लट बाजरा की फसल की जड में पैदा होेकर जडों को खा रही है। जिससे बाजरा की फसल दो तीन दिन में स्वतः ही पीली पढकर व सूखकर नष्ट हो जाती है। जिस खेत में यह बीमारी एक बार लग जाती है उसके आसपास के सभी खेतों में फैलकर बाजरे की फसल को नष्ट कर देती है।

किसान ब्रजेन्द्रसिंह ने बताया कि करीब दो माह पूर्व खेतों में बडे अरमानों के साथ बोई गई बाजरे की फसल इस बार अनुकूल मौसम व अच्छे मानसून के चलते खेतों में पूरे यौवन से लहलहा रही थी व बाजरे की बाल के फूल आना शुरू हुआ था। जिससे किसानों में अच्छी पैदावार की उम्मीद को लेकर खुशी का माहौल था। किन्तु अब इस फसल में सफेद लट नाम का कीट रोग लग जाने से किसानों के सभी अरमानों पर पानी फिर गया है। कृषि अधिकारी सुरेश गुप्ता से प्राप्त जानकारी के अनुसार सफेद लट की बीमारी बालुई मिट्टी के खेतों में ज्यादा फैलती है। जिसे कीटनाशक दवा से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने किसानों को भी संबंधित कृषि पर्यवेक्षक या बयाना कार्यालय में सम्पर्क कर उनकी सलाह के अनुसार दवा का उपयोग करने को कहा है। उन्होंने बताया कि बयाना के नहरा क्षेत्र व कांमरघार के गांवों सहित गंभीर नदी के बहाव क्षेत्र के आसपास के इलाकों में इस बीमारी का काफी प्रकोप है। इस बार बयाना क्षेत्र में करीब 22 हजार हैक्टेयर में बाजरा की बुबाई की गई है। 

  • बयाना संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट 

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