जब तक जीवन में धन की महत्व बुद्धि बनी रहेगी तब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी - पाराशर
डीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) जब तक जीवन में धन की महत्व बुद्धि बनी रहेगी तब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी, माता पिता के आशीर्वाद में इतनी शक्ति होती है कि वह साधारण को भी असाधारण योग्यता और सम्मान दिला सकती है। इसका प्रमाण पौराणिक कथाओं में मिलता है यह वाक्य कोविड-19 का पालन करते हुए कस्बे के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर पर पोष बड़ा कार्यक्रम में बोलते हुए लक्ष्मण मंदिर के महंत पंडित मुरारी लाल पाराशर ने कहे ।पोष बड़ा कार्यक्रम के दौरान सुबह भगवान लक्ष्मण जी उर्मीला जी क अभिषेक पूजन किया गया। सुंदरकांड का पाठ मधुर संगीत के साथ तथा भगवान की आरती उतारी गई । पाराशर ने कहा कि सर्दी के मौसम में भगवान को भी गर्म व्यंजनों बडे आदि का भोग लगाना चाहिए। चौरा की दाल पोस्टिक एवं लाभदायक होती है। पाराशर ने सुंदरकांड पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामायण का सबसे सुंदरकांड है। सुंदरकांड में सीता जी के सौंदर्य चरित्र का वर्णन है ।बाल्मीकि रामायण की रचना सुंदरकांड की रचना के कारण ही प्रमुख रूप से हुई। सुंदरकांड में प्रारंभ से लेकर अंत तक सौंदर्य का ही विवरण है। जामवंत के बचन सुहाए में सौंदर्य एवं अंत में सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुणगान सौंदर्य व मंगल की ही चर्चा है।हनुमान जी के द्वारा सीता जी की सुंदर खोज है, सीता जी की खोज उस समय ही नहीं आज भी हो रही है ।सीता जी का एक अर्थ है शक्ति तो शक्ति की कमजोर व्यक्ति को आवश्यकता है, वह उसकी खोज में रहता है। लक्ष्मी निर्धन व्यक्ति लक्ष्मी की खोज में रहता है। शांति अशांत व्यक्ति शांति चाहता है, तुरिय अवस्था योगी संत तुरिया अवस्था समाधि चाहते हैं। इस अवसर पर वैध नंदकिशोर गंधी,मनोहर लाल शर्मा,लोकेंद्र जैन, दिनेश सराफ, सनी जैन ,पार्षद नीरज कपासिया, टीटू फौजदार ,मुकुट काका ,ब्रजराज सिंह, पंकज एडवोकेट,सुनील डंगिया,पहलाद मित्तल,नीटू पाराशर ,योगेश राठौर,दिवान ठाकुर,दाउ दयाल नसवारिया,जुगला खण्ड़ेलवाल सहित आदि भक्त उपस्थित थे।