आयुर्वेदिक चिकित्सालय अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू बहा, स्थानीय प्रशासन मौन
मेहरु कलाँ (अजमेर,राजस्थान/ बृजेश शर्मा) आयुर्वेदिक पद्धति और योग शिक्षा को लेकर केंद्र की सरकार जहां विश्व में अपनी उपलब्धियों का डंका मनवाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है। वहीं प्रदेश के आयुर्वेद चिकित्सालय और औषधालयों के हालात बदतर होते जा रहे हैं। वही चिकित्सक भी अपने विभाग को लेकर संवेदनशील नही ह यही वजह है कि प्रदेश के आयुर्वेद चिकित्सालयों से मरीजों को मोह हटता जा रहा है। अजमेर जिले के मेहरु कलाँ क्षेत्र में संचालित एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय जो अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है। यहां का नजारा किसी बाड़े से कम नही है हालात यह है की आयुर्वेदिक चिकित्सालय के इर्द गिर्द कंटीली झाड़ियां उगी हुई है जिससे विषैले जन्तुओं का भय बना रहता है, वही पंचायत प्रशासन भी आंखे मूंदे हुए हैं । आलम यह है कि कहने को यह चिकित्सालय और औषधालय समय पर खुलते और बंद होते हैं, लेकिन उपचार के नाम पर यहां की व्यवस्थाएं एक चिकित्सक के भरोसे है। ऐसे में गुणवत्ता युक्त उपचार के अभाव में लोगों का मोह आयुर्वेद से भंग होता जा रहा है।
जिम्मेदारी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति:- कहने को तो इक्का-दुक्का नाम के मरीजों का उपचार कर अपना कोटा पूरा करते हैं। उसमें भी मेहरु कलाँ में ऐसा औषधालय है, जहां एक चिकित्सक के अलावा अन्य स्टाफ की सुविधा नहीं है।
नहीं होती मोनेटरिंग:- आयुर्वेद महकमे में बिगड़े ढर्रे की एक वजह नियंत्रण की कमी भी है। उच्चाधिकारियों की नजरंदाजी के बीच इन औषधालयों और चिकित्सालयों का नियमित निरीक्षण नहीं होता है। इसके चलते नर्सिंग स्टाफ की मनमानी हमेशा हावी होती है।