कोरोना लॉकडाउन में की अनेक कविताओं की रचना - एडवोकेट सारांश सैनी
राजस्थान उच्च न्यायालय के एडवोकेट सारांश सैनी ने लॉक डाउन में अपना समय का आनंद लेने के लिए अनेक कविताओं की रचना की तथा समय का सही उपयोग करते हुए बताया की अपने जीवन में कविताओं के ज्ञान से जीवन को बहुत अधिक सरल व अपने स्वभाव को आसान बनाया जा सकता है उस से अपना स्वास्थ्य अत्यधिक लाभदायक होता है , उनके शिष्य एडवोकेट प्रमोद पौंख ने बताया कि गुरुजी ने लॉकडाउन में अनेक कविताओ की रचना की जो निम्न है - श्री गुरु सारी आश , कान्हा जी जीव ब्रम्हा बीच माया ,इज्जत करत यार ,युद्ध मुरली आप जी , तनया जीवन सार ,आदि कविताओं की रचना की उनके है
" तनया जीवन सार "
संगीत , साज , धुन घर की , तनया नित त्यौहार ।
हिया बिना , हर अंग ज्यू , उस बिन हर परिवार ।।
ताकत वो , कमजोरी भी , जन्म - मरण संचार ।
सेवा सादगी नन्दनी , उससे नित ज्यौनार ।।
नीति , नियती सब उससे , नेह लाड़ दुलार ।
जी और “ सांसे ' ' आत्मजा , तनया जीवन सार ।
“ सांसे ' ' सारांश सैनी '
" मेरी दीदी - माँ सी माँ "
अम्मा डाटें , पीटें बाबुजी, निज आंचल लेती माँ सी माँ ।
नीर नयन मेरे झलके तो, खुद गंगा - जमुना माँ सी माँ ।।
ताडण्व् घर में मैं करता, पर माथे लेती माँ सी माँ ।
अच्छा सब कुछ अपना था, बचे - कुचे में माँ सी माँ ।।
गफलत गलती घर गलियारे, सब कुछ ढ़कती माँ सी माँ।
रब ने माँ से खुद बनवाई , मेरी दीदी माँ सी माँ ।।
वाकई मेरा धन्य जन्म जो, पहले जन्मी माँ सी माँ ।
लख - लख नमन खुदा और माँ को, मेरी “ सांसे " माँ सी माँ ।।
" सां से " " सारांश सैनी 'एडवोकेट राजस्थान उच्च न्यायालय