दंत रोग चिकित्सक होने के बाद भी दंत रोगियो के दांतों की नही हो रही आरसीटी
दंत रोगियो को अपने निवासों पर बुलाकर मोटी फीस लेकर आरसीटी कर रहे दंत चिकित्सक
डीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) ड़ीग के रेफरल चिकित्सालय में दंत रोग चिकित्सकों की मनमानी और फीस लेकर घर पर चिकित्सा करने की प्रवृत्ति के चलते चिकित्सालय में दो दंत रोग चिकित्सक होने के बावजूद उपखंड के दंत रोगियों को निजी दंत रोग चिकित्सकों के पास भटकना पड़ रहा है। इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन के जिला बिधी सलाहकार अधिवक्ता साहब सिंह ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री को ज्ञापन भेजकर रेफरल चिकित्सालय में व्याप्त अनियमितताओं की जांच करा कर व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल कारगर कदम उठाने की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि डीग के रेफरल चिकित्सालय में दंत रोग चिकित्सक का एक पद सृजित है। जबकि यहां दो दंत रोग चिकित्सक कार्यरत हैं। लेकिन दंत रोगियो का कहना है कि जब भी रेफरल चिकित्सालय में दिखाने जाते हैं। तो ओपीडी में दंत रोग कक्ष खाली पड़ा रहता है। और ओपीडी के समय दंत रोग चिकित्सक अपने निवास पर फीस लेकर रोगी का उपचार करते रहते हैं ।यदि किसी रोगी को कभी दंत रोग चिकित्सक मिल भी जाता है तो मात्र दवाई लिख कर इलाज के नाम पर खानापूर्ति कर देते हैं। यदि रोगी को दांत निकलवाने या आरसीटी करने की जरूरत हो तो दंत चिकित्सक उसे अपने निवास पर आने को कहते है।
जंहा रोगी से मोटी फीस लेकर उसकी आर सी टी की जाती है। रैफरल चिकित्सालय में एक दंत चिकित्सक तो पिछले तीन साल से कार्यरत है। लेकिन जब उससे पूछा गया कि क्या आपने अभी तक चिकित्सालय में किसी दंत रोगी की आर सी टी की है। तो वह अभी में बिजी हूँ आप से बाद में वात करता हूं। कह कर बगले झांकने लगे। यही हाल दूसरे दंत चिकित्सक का है। ज्ञापन में कहा गया है कि एक तरफ बहुत मौसमी बीमारियों के प्रकोप के चलते रेफरल चिकित्सालय में रोगियों का ताँता लगा हुआ है। तथा ओपीडी में रोजाना 700 से 1000 तक रोगी इलाज के लिए आ रहे हैं। जबकि चिकित्सकों की मनमानी के चलते चिकित्सालय में चिकित्सा सेवाएं की हालत बदहाल बनी हुई है और उपखंड के लोगों को मजबूर होकर चिकित्सा के लिए या तो चिकित्सकों के घरों पर जाकर फीस देकर चिकित्सा करवानी पड़ रही है या फिर चिकित्सा के लिए नीम हकीमो की शरण में जाना पड़ रहा है।
डॉ नंदलाल मीणा (प्रभारी रेफरल चिकित्सालय डीग) का कहना है कि:- दोनों दंत रोग चिकित्सकों को जरूरतमंद संत रोगियों के चिकित्सालय में ही आरसीटी करने के निर्देश दिए गए हैं यदि इसके बाद भी वह आरसीटी नहीं करते हैं उच्च अधिकारियों को इस संबंध में लिखा जावेगा।