नश्तर सी चुभ रही हवाओं से दिनरात गलन का अहसास, अलाव बन रहा लोगो का सहारा
घने कौहरे के बाद अब शीत लहर व गलन से दिन में भी अलाव बन रहा ग्रामीणों का सहारा
गुरला (भीलवाड़ा, राजस्थान/ बद्रीलाल माली) हाड़ कपकपाती ठंड में बुजुर्गो को तो अलाव तापते देखा हैं । मगर इस बार की ठंड कुछ अलग अंदाज की हैं जिसके चलते बुजुर्ग तो बुजुर्ग युवाओं को भी दिन में अलाव का सहारा लेना पड़ रहा हैं। पिछले एक पखवाड़े से रह रहकर आये दिन छा रहे घने कौहरे के बाद तेज गलन व शीत लहर की ठिठुरन से आमजन ठहर सा गया हैं । जिसके चलते रात तो रात दिन में भी अग्नि (अलाव) का सहारा लेना पड़ रहा हैं। तीन चार दिनों पूर्व में हुए भीषण कौहरे के चलते जहां सूर्यदेव के दर्शन भी आमजन को मुनासिब नही हो सके वही आमजन को जम्मूकश्मीर का अहसास और आनंद भी यही घर बैठे ही मिल गया । मगर कौहरे के बाद चली शीत लहर और पौष माह की हाड़ फाड़ कड़ाके की ठंड से आमजन इस भीषण ठंड की ठिठुरन से अब जुंझ रहा हैं ।
ऐसे में इस कड़ाके की ठंड में किसान अपने पशुधन इत्यादि को भी ठंड से बचाने की जुगत में अलाव जलाकर तो बाड़े के चौतरफा तिरपाल इत्यादि लगाकर पशुओ को ठंड से बचा रहे हैं ।
ऐसे में ठंड से बचने के लिए युवा वर्ग भी बस स्टैंड, गलियारों और गांव की चौपालों सहित अपने अपने घरों में भी अग्नि (अलाव) जलाकर ठंड से बचने का जतन कर रहे हैं । इस भीषण ठंड में युवाओं का यह हाल हैं तो बच्चे बूढ़े इन सभी का इस भयंकर ठंड में क्या हाल हो रहा होगा यह सोचते ही इंसान की रूह कांप उठती हैं।