सरकार की राज. ग्रामीण परिवहन सेवा की बसे सरकारी खजाने का करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी हुई सड़कों से गायब
सड़क किनारे खड़ी राजस्थान ग्रामीण परिवहन की बसें कोस रही अपने भाग्य को
कोटकासिम (अलवर, राजस्थान/ संजय बागड़ी) जब चारों तरफ आवागमन की शिकायतें आने लगी और चुनाव नजदीक आते दिखाई पड़े तो राजस्थान सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों हेतु बड़े जोर शोर से शुरू की गई राजस्थान ग्रामीण परिवहन बस सेवा। जिस पर सरकार का करोड़ों रुपया खर्च हुआ,साथ ही लाखों रुपया तो इसके प्रचार प्रसार में ही खर्च हो गया था। कुछ दिनों तक तो ये ग्रामीण परिवहन की बसें सड़कों पर खाली दौड़ती दिखाई दी। इसके बाद कुछ दिनों तक कम यात्री भार के साथ भी फर्राटे भरती नजर आई। लेकिन फिर अचानक से ये बसे सड़कों पर दिखाई देना बंद हो गई।
इस ग्रामीण परिवहन योजना पर करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद, उसको ही भूली सरकार.....
जिस योजना पर सरकार ने करोड़ों रुपया खर्च कर दिया आज उसे ही भूली सरकार। आज सड़क किनारे कई जगह ग्रामीण परिवहन की ये बसें धूल फांक रही हैं, और शायद अपने नसीब को कोस रही हैं
इन बसों की हालत देखकर ऐसा लगता है जैसे ये खुद से ही कह रही हों की, कोनसी अशुभ घड़ी में किस मनहूस ने हमारा मुहूर्त किया था।
चार दिन की चांदनी, फेर अंधेरी रात
जब ये बसे चली तो ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लेकिन यह क्या? इन बसों की सेवाओं ने तो चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत को चरितार्थ कर दिखा दिया।अब ग्रामीण क्षेत्र में परिवहन को लेकर वही पहले वाले हालात हो गए हैं।
सरकार द्वारा इस योजना पर जो पैसा खर्च हुआ वह सब गया पानी में, अब उसका जवाब कोन देगा?
अब सवाल यह उठता है की सरकार क्यों सरकारी पैसे की बरबादी करने में लगी हुई है? या फिर यह योजना भी किसी अपने को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी? जैसा की योजना के प्रारंभ में ही सुनने में आ रहा था। अब सरकार चलाने वालों से यह सवाल तो पूछने का हक जनता का भी है,तो अब इसका जवाब इस योजना को प्रारंभ कर करोड़ों रुपयों की सरकारी खजाने को चपत लगाने वाले क्यों नही दे रहे?