सुखी जीवन चाहिए तो संतोषी बनो - जैन मुनि संयम सागर महाराज
भरतपुर,राजस्थान / पदम चंद जैन
ड़ीग (29 नबम्बर) संतोषी व्यक्ति सदा सुखी रहता है क्योंकि कामनाओं का कोई भी अंत नहीं है इसलिए सुख चाहिए तो संतोषी बनो। जो नहीं है उसके पीछे पागल मत बनो जो नहीं है समझो वह अपना नहीं है जो अपने पास है वही अपना है ।शेष सब सपना है यह बात रविवार को श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर पुरानी डीग में प्रवचन करते हुए जैन मुनि संयम सागर महाराज ने कही।
उन्होंने कहा की व्यक्ति को जीने के लिए जो आवश्यकताएं है उनकी पूर्ति हो सकती है। लेकिन कामनाएं अनंत हैं उनकी पूर्ति पूरे जीवन भर प्रयास करने के बाद भी नहीं हो सकती। क्योंकि एक कामना की पूर्ति होती है तत्काल दूसरी कामना का जन्म हो जाता है। इसलिए जो नही मिला है उसके लिए परमात्मा से शिकायत मत करो बल्कि जो भगवान ने हमें दिया है उसके लिए प्रतिदिन भगवान का धन्यवाद करो। यही सुख की कुंजी है। प्रारंभ में जैन मुनि संयम सागर महाराज के जल महलों की नगरी डीग में प्रवेश के समय जैन समाज के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद जैन के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने उनका पद प्रक्षालन कर और आरती उतार कर स्वागत किया। इसके बाद प्रवचन और मुनिराज की आहार चर्या हुई।