बापू की फटकार मे यारो , प्यार भतेरा होया करे- कवि ललित शर्मा
जिसके बापू कोन्या यारो, जाके उस ते पूछो दिल की ।
आशीर्वाद बिना मेहनत फले ना, आस रहवे ना मंजिल की ।।
बिन बाप के रूलता डोले, हर कोई धक्का दिया करे ।
बापू की फटकार में यारो, प्यार भतेरा होया करे ।।
तेरी छाया में बचपन बीता, कंधा पे तेरे खेलया सूं।
पहली बानी मां बोली मने, दुजी बापू बोल्या सूं ।।
मात पिता संतान का अपनी, मुंह देख के जिया करे।
बापू की फटकार में यारो, प्यार भतेरा होया करे।।
खेल खिलौने जी भर ल्याता, पर जी भर लाड लड़ाया ना ।
दिल में तेरे प्यार जो उमड़या, म्हाने कदे दिखाया ना ।।
बाप चला ज्या दुनिया मेह ते, घोर अंधेरा होया करे।
बापू की फटकार में यारो, प्यार भतेरा होया करे ।।
खुद पहरे था पाटया लत्ता, म्हाने जींस पहरायी थी।
जाण के पाछे बेरा पाट गया, तेरा प्यार की के गहराई थी।।
बिन बापू जो होवे सै वा, सूना सवेरा होया करे।
बापू की फटकार में यारो, प्यार भतेरा होया करे।।
"शर्मा ललित" बिन बाप का डोले, सर पे हाथ कोई धरे नहीं ।
झूठी गोली देवे सै सारे, बखत पे काम कोई करे नहीं।।
बापू का सपना पूरा करदे, वो पूत कमेरा होया करे।
बापू की फटकार में यारो, प्यार भतेरा होया करे।।
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- कवि ललित शर्मा (बहरोड़)