लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में आज फिर वही श्रवण कुमार वाली कहानी बनी पुत्र ने प्राण त्यागे मां-बाप रहे प्यासे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल
लक्ष्मणगढ़ (अलवर,राजस्थान/ गिर्राज प्रसाद सोलंकी) लक्ष्मणगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम रोणीजा जाट निवासी लल्लू राम प्रजापत अपनी मेहनत मजदूरी करते हुए किसी के खेत में फसल काटते हुए पानी की प्यास लगी तो अपने पुत्र संजय को पानी लाने के लिए बोला था। संजय जब खेत के पास ही के कुएं में पानी लेने गया तभी अचानक पानी की बाल्टी भरी हुई पंखे में उलझ गई और झटका लगाते हुए फिरसंजय कुएं में ही जा गिरा और पंखे से टकराते हुए सिर में गंभीर चोट लगी और संजय हुए में ही जा गिरा इधर मां-बाप फसल जब काट रहे थे तो पानी की इंतजार करते हुए जब कंठ प्यास से तरस रहे थे तभी उन्होंने देखा कि बेटा संजय अभी तक पानी लेकर नहीं पहुंचा, तभी चारो तरफ झांककर देखा तो संजय भी नजर नहीं आ रहा ।ऐसे में जब कुए के पास दोनों पहुंचे तो देखा किस संजय तो कुएं मे ही पड़ा हुआ है। तो वही एक और तो कंठ प्यास से सूखे हुए थे। वहीं इस दुखद घटना को देखते हुए रोते-रोते अब जंगल में उनके आंसू कौन पूछे कौन उनको सांत्वना दें रोने की आवाज को सुनकर पास पड़ोस के खेत में कार्य करने वाले एकत्रित हुए और वहां पहुंचने पर उन्हें ढांढस बंधाया और कुऐ से संजय को निकाला निकालने पर देखा जब तक संजय अपने प्राण त्याग चुका था मौके पर लक्ष्मणगढ़ थाना पुलिस को सूचित करते हुए बुलवाया गया ।पुलिस के समक्ष संजय को निकलवा कर और संजय के शव को लक्ष्मणगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया । लाने के पश्चात वहां उसका पुलिस के समक्ष पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया गया। अब इस गरीब परिवार के सामने संकट की घड़ी आ कर खड़ी हुई है। गरीब आई इतनी की बेचारा सुबह है तो शाम नहीं शाम है तो सुबह नहीं, अब इस गरीब का डाडस कौन बधाऐ और अब देखना यह है कि इस गरीब परिवार को सरकार के द्वारा जनप्रतिनिधियों के द्वारा क्या कुछ आर्थिक सहायता मिल पाती है या नहीं ।घटना कहानी यूं ही प्रतीत होती है जिस तरह श्रवण कुमार की कहानी सुनी जाती थी। वहीं घटना आज क्षेत्र में घटित हुई है मां-बाप बेचारे फसल काटने के लिए किसी दूसरे की मंजूरी पर गए हुए थे और जब कंठ प्यास से तरस गए पानी लेने के लिए जब भेजा तो उनका संजय उनका श्रवण कुमार कुएं में ही जा गिरा अब इस कलकलाती धूप में वह पानी की बाट ज्योते रहे अब पानी तो कहां नसीब बेचारे रो रो कर के हाल बेहाल हो रहा है गरीब के आंसू कौन पोछे। संजय कक्षा छ:का छात्र था छुट्टी की वजह से अपने घर के कार्य में ही मां-बाप के साथ लगा हुआ था उसे क्या पता कि इस कुएं के अंदर ही आज मेरी मौत लिखी है।