वृंदावन कुंभ के अंतिम शाही स्नान में फिर गूजा ब्रज के पर्वतों के संरक्षण का मुद्दा, भगवान कृष्ण है सबसे बड़े पर्यावरणविद - संत ब्रजदास
महिलाये भी पूरी ताकत से देंगी ब्रज के पर्वतों के रक्षण के इस आंदोलन में साथ- साध्वी गौरी
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) ड़ीग उप खंड के गांव पसोपा में आदिबद्री व कनकाचल पर्वत के ऊपर हो रहे खनन के विरोध में चल रहे धरने के 57 दिन शनिवार को वृंदावन कुम्भ में अंतिम शाही स्नान के दौरान ब्रज के पर्वत कनकाचल व आदिबद्री के संपूर्ण रक्षण के लिए जयघोष किया गया ।शाही स्नान के दौरान संपन्न शोभायात्रा में हजारों लोगों ने सम्मिलित होकर ब्रज के पर्वतो को अविलम्ब खनन मुक्त करने का आह्वान किया । साधु संतों ने राजस्थान सरकार को संदेश दिया है कि वह वृंदावन कुंभ से संतों की इस अपील को स्वीकार कर तत्काल आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त करें । मान मंदिर की साध्वियों ने शोभा यात्रा के दौरान वृंदावन की गलियों में आदिबद्री पर्वत व कनकाचल पर्वत के रक्षण के लिए लोकगीत का गायन किया एवं उपस्थित विशाल जनसमुदाय से ब्रज के पर्वतों के संरक्षण के लिए हर संभव सहयोग देने की अपील की।
इस अवसर पर आंदोलन के सभी प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे । अध्यक्ष महंत शिवराम दास ने हज़ारो लोगों के जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रज की संस्कृति, पर्यावरण, पौराणिक परंपराएं प्राकृतिक संपदा एवं पशु-पक्षी पेड़ -पौधे यह सब साक्षात कृष्णरूप ही हैं । वृंदावन कुंभ एक ऐसा अवसर है जहां हमे ब्रज की संस्कृति व पर्यावरण के रक्षण की शिक्षा मिलती है । उन्होंने कहा की भगवान कृष्ण की भक्ति व इस कुंभ में स्नान करने की सच्ची सार्थकता इसमें है कि हम ब्रज के पर्यावरण, पर्वतों एवं ब्रज की अलौकिक संस्कृति की रक्षा करें वह पूरे विश्व में उसका प्रचार प्रसार करें । मानमंदिर के संत ब्रजदास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण सबसे बड़े पर्यावरणविद थे । उन्होंने प्रकृति के सभी अंगों को शोधित कर उनके रक्षण संदेश दिया । दावानल का पान करके अग्नि को शोधित करने का, गोवर्धन उठाकर पर्वतों की रक्षा करने का, कालिया नाग का दमन कर जल के शुद्धिकरण का, तृणावर्त का वध कर वायु के प्रदूषण को नष्ट करने का, ब्रज रज खाकर भूमि तत्व को स्वच्छ करने का संदेश दिया । कुंभ का पर्व हमें इन सभी प्राकृतिक स्तम्भों के रक्षण, संवर्धन व संरक्षण करने की शिक्षा देता है । वहीं साध्वी गौरी ने कहा कि इस आंदोलन में केवल पुरुष वर्ग ही नहीं बल्कि कृष्णप्रेम से भावित सभी महिला वर्ग भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ब्रज के पर्वतों व प्राकृतिक सम्पदा की रक्षा के लिए तत्पर रहेगी । इस अवसर पर ग्राम पसोपा, अलीपुर, ककराला, नागल आदि गावों के सैकड़ों ग्रामवासी मोजूद थे ।