कोविड केयर सेंटर पर लटके मिले ताले ना अधिकारी, ना कर्मचारी, गैर-सरकारी कर्मचारी के भरोसे कोविड- सेंटर
कोविड केयर सेंटरो पर नही है कोई सुविधा, जिम्मेदार अधिकारी बने हुए है लापरवाह, ब्लॉक क्षेत्र में 800 कोरोना संक्रमण की चपेट में
लक्ष्मणगढ़ (अलवर,राजस्थान/ गिर्राज सौलंकी) कोरोना का बढ़ता संक्रमण अलवर जिले को प्रदेश में अब दूसरे-तीसरे नंबर पर अपना स्थान बनाए हुए हैं। जिले में प्रतिदिन संक्रमण फैलने के आंकड़े बढ़ रहे हैं। वैसे तो कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार और राज सरकार दोनों सजक सतर्क और संजीदा है। हर किसी का बजट भी अब कोरोना संक्रमण को रोकने पर ही हो रहा है रहा है। केंद्र सरकार राज्य सरकार दोनों का फोकस मात्र इस महामारी को रोकने पर है।गौरतलब है लक्ष्मणगढ़ उपखंड क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 213 गांव आते हैं और उपखंड क्षेत्र के अंतर्गत समस्त संक्रमित आने वाले ग्रामीणों को कोविड-सैन्टरो पर रखते हैं। उपखंड क्षेत्र में हरसाना मोड लक्ष्मणगढ़ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय को कोविड सेंटर बनाया हुआ है। वहीं दूसरी ओर मौजपुर के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय को कोविड सेंटर बनाया है।
संक्रमण के शिकार हुए मरीजों को रहने खाने पीने चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने सब कुछ व्यवस्था कोविड सेंटर के अंदर होती है।।जिस तरह चिकित्सा विभाग के अंदर सुविधाएं होती है। इन्हें सेंटर पर ऑक्सीजन सिलेंडर सहित संपूर्ण चिकित्सा सुविधाओं के उपकरण उपलब्ध रहते हैं। उसी तरह इन सेंटरों पर संपूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होती है ।इन सेंटरों पर एक चिकित्सक, नर्सिंग कर्मचारी, वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारी, व प्रशासनिक टीचर वगैरह इत्यादि को कॉविड सेंटर पर कोरोना से संक्रमित मरीजों की निगरानी हेतु नियुक्त किया जाता है। पर यहां ना आक्सीजन सिलेंडर है ना डॉक्टर से ना नर्सिंग स्टाफ फिर किसके भरोसे कोविड सेंटर चलाया जाएगा। यह कोविड-सैन्टर पर केंद्र सरकार व राज सरकार का भरपूर बजट लगता है ऐसे में जब कोविड-सैन्टरो पर कोरोना संक्रमित मरीज ही ना हो और ना ही प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी डॉक्टर वार्ड बॉय ना कोई दवा ना चिकित्सा सुविधाऐं वहां मुहैया नहीं हो कोविड सैन्टर बनाने का क्या फायदा।
गौरतलब है कि ब्लॉक में लगभग 800 संक्रमित लोग हैं जिन्हें घरों में ही होम आइसोलेशन किया गया है। जबकि घरों में संक्रमित मरीज औरों को भी संक्रमित करता है कई संक्रमित मरीज तो बाजारों में भी घूम रहे हैं। जिनकी निगरानी कौन करें इनकी सही मायने में हिफाजत कोविड-सैन्टरो पर ही हो सकती है। पर जब तक हमारे अधिकारी और कर्मचारी सजग नहीं होंगे तब तक हम इस महामारी पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते । आज जब मीडिया कर्मियों ने लक्ष्मणगढ़ उपखंड क्षेत्र के दोनों कोविड-सेंटर का निरीक्षण किया तो हरसाना मोड़ पर स्थित कोविड-सेंटर मात्र टीचर ही थे वहां ना कोई चिकित्सक ना कोई नर्सिंग कर्मचारी ना कोई अन्य स्टाफ और ना ही संक्रमण रोगी, दूसरा कोविड-सेंटर मौजपुर गांव के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में देखा जहां पर ताला लटका मिला।
कोई कर्मचारी नहीं मात्र एक गेट खोलने वाले कर्मचारी गैर सरकारी मोजूद मिला जिसके भरोसे कोविड-सेंटर चल रहा था। ना चिकित्सक नर्सिंग कर्मचारी ना बार्ड बाय ना प्रशासनिक अधिकारी फिर किसके भरोसे कोविड-सेंटर ऐसे में कैसे हम कैसे कोरोना महा मारी पर विजय हासिल कर पाएंगे।
मरीज घरों में और गांवों में पारिवारिक सुख भोग रहे हैं। बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं। कोविड-सैन्टर पड़े खाली ऐसे में कौन करें इनकी रखवाली मात्र एक गैर सरकारी कर्मचारी मिला था। जिस ने बताया कि अध्यापक आए थे सुबह मात्र खड़े-खड़े आकर के उपस्थिति दर्ज कराई और गए। क्या ऐसे लापरवाही में इस जंग को जीत पाएंगे। इधर संबंधित अधिकारियों से इस विषय में जानकारी लेने के लिए ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर गए वहां अधिकारी नदारद मिले। कर्मचारियों का कहना था कि अधिकारी फील्ड में है 2 घंटे कंटिन्यू फोन लगाने पर फोन अटेंड हुआ नहीं। मैसेज भी डाला गया पर कोई जवाब नहीं ऐसे में लगता है ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं।
लाखन सिंह गुर्जर (एसडीएम लक्ष्मणगढ़) का क्या कहना है कि:-उपखंड क्षेत्र के अंतर्गत 5 कोविड केयर सेंटर है , लक्ष्मणगढ़, मौजपुर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, मेवात आवासीय विद्यालय जमालपुर, हरसाना आईटीआई कॉलेज सहित इस प्रकार 5 कॉविड केयर सेंटर बनाए हुए हैं। जिनमें से मात्र अभी एक को संचालित किया हुआ है।
वह लक्ष्मणगढ़ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय हरसाना मोड अभी संक्रमित एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया है। सभी अपने अपने घरों में ही होम कोरन्टाईन किए है। ग्राम स्तर पर निगरानी कमेटी गठित की गई है जिसमें आशा सहयोगिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ग्राम सचिव सरपंच इत्यादि को निगरानी टीम में लगाया हुआ है।