जीवन और मृत्यु के बीच के समय का करे सही सदुपयोग - साध्वी चंदनबाला
आसींद (भीलवाड़ा, राजस्थान/ रूप लाल प्रजापति) मनुष्य जीवन बड़ी मुश्किल से प्राप्त होता है। जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है जिसे कोई भी टाल नही सकता है। जन्म और मृत्यु के बीच का जो समय है उसका अगर सही कार्यो में सदपुयोग नही किया तो जीवन जीने का कोई मतलब नही रहता है। जीवन मे जन्म, बुढ़ापा, मृत्यु के दुःख से हर व्यक्ति को गुजरना पड़ता है। सबसे बड़ा दुःख जन्म का है जहाँ माँ को 9 महीने तक कष्ठ झेलना पड़ता है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने धर्मसभा में व्यक्त किये।
साध्वी ने कहा कि जो भी महापुरुष हुए है हम उन्हें सूर्य उगने से पहले याद करने लग जाते है। भगवान महावीर दार्शनिक और वैज्ञानिक थे उनके द्वारा 2800 वर्ष पूर्व बताई गई बाते आज भी पूरे संसार के लिए अनुकरणीय है। जो इंसान अच्छा होता है उसको दुनिया मरने के बाद भी याद करती है और जो दुर्जन प्राणी होता है उससे हर आदमी छुटकारा चाहता है। महासती ज्ञानलता के मंगलवार को देवलोकगमन होने पर सभी ने 4 - 4 लोगग्स का ध्यान कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की ।
साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि जहाँ दुःख है वहाँ पर सुख भी आयेगा। बच्चे भगवान का रूप है, बच्चों को लेकर कभी भी किसी से झगड़ा मत करो। महासती ज्ञानलता के देवलोकगमन होने पर साध्वी मंडल ने श्रंद्धाजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके कारण से जो स्थान रिक्त हुआ है उसे नही भरा जा सकता है उन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया है। इस अवसर पर वरिष्ठ श्रावक ताराचंद रांका, भँवर लाल कांठेड़, अशोक श्रीमाल, देवीलाल पीपाड़ा ने अपने विचार रखे। तपस्या के क्रम में तपाचार्य साध्वी जयमाला के गुप्त तपस्या एवं भीम से आई निधिका दरला ने आठ उपवास के प्रत्याख्यान लिए। बाहर से आये श्री संघो का स्थानीय संघ ने स्वागत किया