शहीद प्रकाशसिंह गुर्जर की आठवीं पुण्य तिथि, 10 आंतकियों को मार हुआ था शहीद
वीरांगना तारा गुर्जर को पति प्रकाश की वीरता पर था गर्व
हलैना (भरतपुर, राजस्थान/ रामचन्द सैनी) भुसावर उपखण्ड के गांव छौकंरवाडा खुर्द निवासी बीएसएफ के जवान प्रकाशसिंह गुर्जर देश की सीमा पर दुश्मन से मुकावला कर हुए शहीद हुए,जिनकी आठवीं पुण्य तिथि पर कोरोना महामारी एवं राज्य में चल रहे कोविड प्रोटोकाॅल को मददेनजर रख शहीद की पत्नी व उसकी दोनो पुत्रियों सहित माता-पिता ने शहीद की प्रतिमा पर पुष्प् अर्पित कर याद किया और उनकी यादगार में कोरोना महामारी से मानव जीवन सुरक्षा को गरीब व जरूरतमन्द लोगों को मास्क बांटे। शहीद प्रकाशसिंह गुर्जर पर वीरांगना पत्नी तारा गुर्जर,69 वर्षीय पिता बदनसिंह एवं 89 वर्षीय दादी मां भंवरकौर सहित गांव के लोगों को गर्व है,कि देश की सुरक्षा में प्राण न्यौंछावर कर 10 आतंकी मार गिराए और 35 ग्रामीण एवं 15 बीएसएफ के जवान को बचा लिया। केन्द्र सरकार ने 21 लाख का राहत पैकेज दिया,लेकिन राज्य सरकार ने आज तक मदद नही,जिसका शहीद की पत्नी सहित परिजन, रिस्तेदार एवं ग्रामीण आश्चर्य करते है। शहीद की पत्नी ने स्वयं के पैसा से शहीद स्मारक बनवाया और पति की प्रतिमा लगवाई। बीएसएफ जवान प्रकाशसिंह गुर्जर का जन्म भुसावर उपखण्ड के गांव छौंकरवाडा खुर्द निवासी किसान बदनसिंह गुर्जर के घर मे हुआ, जिनकी शादी तारा गुर्जर के साथ हुई और दो पुत्रियां थी। शहीद के पिता बदनसिंह ने बताया कि पुत्र के शव के साथ आए बीएसएफ के एक जवान ने बतया कि 21 मई 2013 को देश के राज्य मिजोरम में रात्रि गस्त के समय देश की सीमा पर 20-25 लोग आर्मी की वर्दी में नजर आए,जिन्हे देख प्रकाशसिंह एवं उसके अन्य साथियों ने लकारा और पासवर्ड की जानकारी ली,जो पासवर्ड नही बता पाए,आतंकियों की ओर से फायरिंग शुरू हो गई, एक गोली प्रकाशसिंह के टांग में लगी,जिसके बाद भी वे हताश नही हुए ,दुश्मन से मुकावला शुरू कर दिया,प्रकाशसिंह ने 10 आंतकी मार गिराए और स्वयं के साथियों सहित ग्रामीणों को बचाते हुए शहीद हो गए। शहीद की पत्नी तारा गुर्जर के पति प्रकाशसिंह गुर्जर 21 मई 2013 में शहीद हो गए ,जिसके परिवार में पत्नी एवं दो पुत्रियां है। वीरांगना तारा गुर्जर के बताया कि पति के शहीद होने के बाद हताश नही हुई,ससुराल,मायका एवं समाज की इज्जत का ध्यान रखा गया,दुसरी शादी की सपना में नही सोची, पुत्र नही होने पर पुत्री सीमा एवं पायल को बेटा ही समझा गया,जिनके लालन-पालन में कभी नही आने दी ,पति के शहीद के समय दोनों पुत्रियों की आयु 10 से 12 साल थी,कभी सीमा व पायल को बेटी नही समझा,जिन्हे बेटा समझ पालन-पोषण किया,ये मेरे जीवन की धरोहर है,पुत्री सीमा बीए फाइनल तथा पायल कक्षा-9वीं मे पढ रही है।
शहीद के पिता बदनसिंह ने बताया कि पुत्र प्रकाशसिंह गुर्जर की पत्नी तारा गुर्जर ससुराल-मायका सहित समाज की लाज रखी,जिसने धैर्य नही खोया और परिवार व रिस्तेदारों के दववा में भी दूसरी शादी नही की,ऐसे पुत्रवधू पर हमे गर्व है,ये पुत्रवधू नही कलियुग की देवी है।
शहीद की पत्नी तारा गुर्जर ने बताया कि बचपन से कष्ट भरा जीवन व्यतीत किया है,कम आयु में पति देश की सीमा पर दुश्मन से लौहा लेते समय शहीद हो गए,परिवार में पुत्र ने जन्म नही लिया,दो पुत्रियां थी,पुत्री सीमा की 16 फरवरी 2020 को डीग थाना के गांव परमदरा निवासी विक्रमसिंह के साथ शादी कर दी,शादी के बाद 5 मार्च को खेरलीगंज के पास दामाद विक्रम एवं देवर दशरथसिंह की सडक हादसा में मौत हो गई। तारा गुर्जर ने बताया कि पति के शहीद के बाद केन्द्र सरकार से 21 लाख की राहत मिली,जिस राशि से शहीद स्मारक तैयार करा पति प्रकाशसिंह की प्रतिमा लगवा दी और एक पुत्री की शादी कर दी। राज्य सरकार द्वारा आज तक किसी प्रकार की मदद नही मिली,शहीद कोटे के तहत शहीद की वीरांगना को भूमि,गैस एजेंसी,पम्प आदि मिलता है। जो नही मिला। निजी भूमि पर स्मारक बनवाया,प्रतिमा का अनावारण राज्यमंत्री भजनलाल जाटव,प्रधान सीमा गुर्जर एवं सरपंच नैमीसिंह ने किया,जिसके बाद भी आज तक सडक नही बनी।
शहीद प्रकाशसिंह गुर्जर को उसकी पत्नी तारा गुर्जर एवं उनकी पुत्री सीमा एवं पायल तथा पिता बदनसिंह ने कोरोना महामारी से बचाव तथा राज्य सरकार की कोविड बचाव की गाइडलाइन की पालना करते हुए प्रकाश स्मारक पर पहुंच कर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रंद्वाजली अर्पित की और याद कर दीपक जलाया,वही राज्यमंत्री भजनलाल जाटव,पूर्व प्रधान सीमा गुर्जर,पूर्व जिला प्रमुख द्वारिकाप्रसाद गोयल,लुपिन के विष्णु मित्तल,राजेश पचैरी,पूर्व सरपचं नेमीसिंह आदि ने शहीद प्रकाशसिंह गुर्जर को याद किया और श्रंद्वाजली अर्पित की।