माता की प्रतिमा विसर्जन के साथ नवरात्र महोत्सव पर लगा विराम
जगदम्बे मण्डल रामझरोखा ने हर्षोल्लास पूर्वक माता को किया विदा, अस्थाई विराजमान मूर्ति का तालाब मे किया विसर्जन
सिरोही (राजस्थान/रमेश सुथार) शारदीय नवरात्रा में माता शक्ति की उमंग- उल्लास से की गई उपासना, भक्ति और गरबा के संक्षिप्त आयोजन के बाद जगदम्बे नवयुवक मण्डल रामझरोखा सिरोही के द्वारा अपने 49 वे गरबा आयोजन में पारंपरिक तरीके से अस्थाई विराजमान की गई आदमकद भव्य मां दुर्गास्वरूपा जगदम्बा की मूर्ति का कार्यकर्ताओ ने विधि विधान से हर्षोल्लास पूर्वक समीप के तालाब में विसर्जन किया।
मण्डल के संरक्षक लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि रविवार को देर शाम समीपवर्ती कालका तपोवन के पास सरलाटेड तालाब पर मंडल के मुख्य संरक्षक सुरेश सगरवंशी, संरक्षक गिरीश सगरवंशी,गांधीभाई पटेल, राजेश गुलाबवानी,रणछोड़ पुरोहित एवं अध्यक्ष विजय पटेल के सानिध्य में गाजे बाजो के साथ धूमधाम से आयोजन स्थल पर बने पंडाल से माता की प्रतिमा को वाहन में बिठाकर सरोवर तक ले जाया गया। माता की विदाई से पूर्व स्तुति वन्दना और पंडित जीवनलाल ओझा द्वारा मंत्रोच्चारणो व गगनभेदी जयकारों के मध्य माता की आरती अभिषेक किया गया। पंडितों ने स्तुति वंदना के साथ नगर के समस्त भक्तों के दुख निवारण, सुख समृद्धि एवं महामारी कोरोना से मुक्ति की मंगल कामना की। इस अवसर पर गुलाल उड़ाकर नाचते झूमते मंडल कार्यकर्ताओं ने माता के अगले बरस जल्दी आने के और नगर- गांव की रक्षा के भाव से भ्रमण कराते हुए विदा किया।
खंडेलवाल ने बताया कि मां जगदम्बे स्वरूप मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ माता ने अपने आध्यात्मिक निवास कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान किया। इस मौके पर प्रतिमा के साथ में गणपति, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिकेय आदि की मूर्तियां भी विसर्जित की गई। उल्लेखनीय है कि सभी प्रतिमाओं को बंगाली मूर्ति कलाकारों द्वारा पवित्र तालाब की मिट्टी से विधि पूर्वक बनाया गया था जिसमें किसी भी प्रकार के केमिकल या पीओपी का प्रयोग नहीं किया गया। मूर्ति विसर्जन के साथ ही रामझरोखा मैदान में कोरोना की परिस्थितियों के मद्देनजर संक्षिप्त रूप से आयोजित गरबा महोत्सव पर विराम लग गया। नो दिनों तक शहर सहित आसपास के गांवों के श्रद्धालु भक्तों ने रामझरोखा मैदान पहुंचकर विराजीत दुर्गा प्रतिमा का दर्शन वंदन किया। विसर्जन के अवसर पर मंडल के प्रकाश खारवाल, प्रकाश प्रजापति, शैतान खरोर, मगनलाल मीणा, दिनेश प्रजापत, तगसिंह राजपुरोहित, पर्वतसिंह राजपुरोहित, रुपेंद्र शर्मा, अश्विन, सज्जनसिंह राजपुरोहित, हरीश खत्री, महेद्र सूर्यवंशी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तजन उपस्थित थे।