नवीन पिच्छिक परिवर्तन समारोह हुआ आयोजित
कामां (भरतपुर, राजस्थान/ मुकेश कुमार) जैन धर्म के अंतिम अनुबद्ध केवली भगवान जम्बू स्वामी की तपोस्थली बोलखेड़ा पर दिगंबर जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के शिष्य मुनि ध्यानानंद महाराज एवं क्षुल्लक विषंक सागर महाराज का चातुर्मास उपरांत नवीन पिच्छिका परिवर्तन समारोह आयोजित किया गया। समारोह में आर्यिका चिन्मय मति माता एवं क्षुल्लिका चैतन्य मति माता की गरिमामयी उपस्थिति रही।
तपोस्थली के महामंत्री अरुण जैन के अनुसार कार्यक्रम का शुभारंभ चित्र अनावरण,दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण के साथ हुआ। इस अवसर पर जैन श्रावकों ने मुनियों को शास्त्र भेंट भी किए। वहीं तपोस्थली की प्रबंधकारिणी समिति द्वारा नवीन पिच्छिका प्रदान की गई। इस अवसर पर आर्यिका चिन्मय मति माता ने कहा कि पिच्छी संयम का प्रतीक तो है ही साथ ही अहिंसा धर्म की पालनार्थ जैन साधु साध्वीयों द्वारा पिच्छिका परिवर्तन किया जाता है। क्षुल्लक विषंक सागर ने कहा कि मयूर पँखो से बनी पिच्छी के ऊपर का हिस्सा एक वर्ष में घिस जाता है जिससे जीवों की विराधना होने की संभावना बढ़ जाती है। अत: पुरानी पिच्छिका का त्याग कर जैन सन्तो द्वारा नवीन पिच्छिका धारण की जाती है। मोर में विषय वासना का अभाव तो रहता ही है इसके पंख अति मुलायम भी होते हैं। इस अवसर पर बाहर से श्रावकों का समिति के द्वारा सम्मान भी किया गया।