शाहपुरा में नवजात बेटी का ढोल बजा मिठाई बांटकर किया स्वागत
वरिष्ठ पत्रकार पेसवानी के घर रमेश-गीत पेसवानी को हुई है बेटी बच्ची का स्वागत
शाहपुरा (भीलवाड़ा, राजस्थान/ बृजेश शर्मा) 21वीं सदी में भी ऐसे परिवारों की कमी नहीं है, जो बेटा-बेटी में भेदभाव करते हैं। कन्या भ्रूण हत्या का कदम उठाते हैं और बेटी को अभिशाप मानकर उसके जन्म पर मायूस हो जाते हैं लेकिन भीलवाडा जिले के शाहपुरा में पेसवानी परिवार ने अपने घर में बेटी के जन्म होने पर अनूठे तरीके से खुशियां मनाई है। शाहपुरा के वरिष्ठ पत्रकार मूलचंद पेसवानी के सुपुत्र पत्रकार रमेश पेसवानी व गीत पेसवानी को बेटी जन्म होने के बाद हॉस्पिटल से घर पंहुचने पर नवजात बच्ची का स्वागत परिवारजनों ने ढोल बजाकर मिठाई बांटकर खुशियां मनाकर किया। दिलखुशहाल बाग में स्थित घर पर बेटी को जैसे ही उसके दादा-दादी मूलचंद-भावना पेसवानी व माता पिता गीत-रमेश पेसवानी लेकर पंहुचे तो वहां पर परिवार के बच्चों से लेकर बडे बुजुर्गों व मौहल्लेवालों ने ढोल बजवाकर व पुष्पवर्षा कर स्वागत सत्कार किया। परिवारजनों ने बेटी के स्वागत में कोई कसर नहीं छोडकर घर को फूलों से सजाकर जमकर खुशियां मनाई और मिठाई बांटकर बिटिया रानी का इस संसार में आगमन पर स्वागत किया। बाद में नामकरण संस्कार भी परिवार में आयोजित किया गया। बिटिया रानी के दादा मूलचंद पेसवानी द्वारा नामकरण कर उसका तूषिका (संगीत) पेसवानी नाम निकाला गया। बेटी का जन्म 15 अगस्त को शाहपुरा के सेटेलाइट हॉस्पिटल में हुआ था। जच्चा-बच्चा को 5 दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिली थी। बेटी पैदा होने पर अन्य कई परिवारों की तरह पेसवानी परिवार ने मायूस होने की बजाय एक मिसाल पेश की।
पेसवानी परिवार ने प्रसूता व नवजात बेटी को ढोल बजाकर खुशियां मनाकर हॉस्पिटल से घर लाने का फैसला किया और अस्पताल पहुंच गए। अस्पताल से लेकर घर तक जश्न मनाते हुए जच्चा-बच्चा को घर लाया गया। पेसवानी परिवार की इस खुशी में मोहल्लेवासियों ने भी शिकरत की। मोहल्ले के लोगों ने भी आशीर्वाद देकर खुशी मनाई। पेसवानी परिवार के इस तरह से बेटी जन्म पर जश्न मनाकर स्वागत ने समाज के लोगों को बेटियों की प्रति जागरूकता का संदेश दिया है। हॉस्पिटल से घर पहुंचने पर बिटिया रानी व उसकी मां गीत पेसवानी की मौसी उमा जसवानी ने आरती उतारकर टीका लगाकर व चाचा नवीन पेसवानी ने धूमधाम से स्वागत कर गृहप्रवेश करवाया।
नवजात बेटी के दादा मूलचंद पेसवानी व भावना पेसवानी का कहना है कि बेटा-बेटी एक समान है। इसलिए हमारे घर नन्ही परी का आगमन हुआ तो उसका धूमधाम से स्वागत किया गया। पूरा मोहल्ला हमारी खुशी में शामिल हुआ। बेटी के माता पिता गीत-रमेश पेसवानी ने बताया कि हम समाज के लोगों को यही संदेश देना चाहते हैं कि आज के समय में लड़के तो मां-बाप के बूढ़े होने पर उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं, लेकिन बेटियां हमेशा मां-बाप का साथ देती हैं। इसलिए बेटा-बेटी में कोई फर्क मत समझो। इन्हें भी बेटों की तरह खूब पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने का अवसर दो। स्वागत सत्कार के दौरान परिवार की वयोवृद्ध सीतादेवी पेसवानी लक्ष्मण-मीना पेसवानी, कविता पेसवानी, सुरेश-रेखा पेसवानी, पंकज-जीविका पेसवानी, देवेंद्र-हर्षिता पेसवानी, पवन, चिराग, नवीन, मोनिका, हितेश, हिमांशु, खुशाल, जिया पेसवानी मौजूद रहे।