पहले दिन ही खुली जिला प्रशासन के आश्वासन की पोल, खुले आम अवैध खनन कर ड़ीग कस्बे में निकली पत्थरो से भरी ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रालियां
साधु संतों ने सरकार और प्रशासन को पुनः चेताया खनन रोको वरना एक नहीं कई साधु करगें आत्मदाह
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान) ड़ीग कस्बे में होकर शुक्रवार को अवैध खनन कर निकाले गए पत्थरों से ओवरलोड भरी कई ट्रैक्टर ट्रालीओ को बेखोफ एक साथ निकलता देखकर आंदोलन कर रहे साधु शब्दों में रोष व्याप्त हो गया और उसको लेकर गांव पशुपालन शुक्रवार को हुई साधु संतों की बैठक में उस पर भारी रोष व्यक्त किया गया आंदोलनकारी संतों का कह रहा था एक तरफ जिला प्रशासन ने सभी अधिकारियों के साथ साधु संतों से वार्ता कर तत्काल डी कामा क्षेत्र में अवैध खनन ओवरलोडिंग को पूरी तरह रोकने पर सहमति जताई थी वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को खनन माफिया लोग अवैध खनन कर और ट्रैक्टर ट्रॉली में ओवरलोड पत्थर भरकर ड़ीग कस्बे के भीतर होकर धड़ल्ले से गुजरते देखे गए। जबकि इसको रोकने के लिए उत्तरदाई पुलिस प्रशासन खनन और वन विभाग के लोग सब कुछ देख कर भी आंखें बंद किए रहे ।इससे जाहिर होता है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस दशा में गंभीर नहीं है।
जबकि दो दिन पहले हीं जिला प्रशासन के समस्त अधिकारियों के साथ संभागीय आयुक्त कार्यालय में आंदोलनकारियों की बैठक हुई थी ।जिसमे सभी अधिकारियों ने अवैध खनन व ओवरलोडिंग को समाप्त करने का पूरा आश्वासन दिया था। लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है दूसरे दिन ही खुलेआम भारी मात्रा में अवैध खनन किए हुए पत्थरो से भरी ट्रैक्टर ट्रालियां निकल रही हैं वह भी ओवरलोडेड। इस सबको देख कर अब कैसे विश्वास किया जा सकता है। कि प्रशासन गंभीर हो गया है।
साधु संतों का कहना था कि जिला प्रशासन गंभीर होकर हरि बोल बाबा से किए अपने वायदे को तुरंत निभाए अन्यथा एक हरि बोल बाबा नहीं बल्कि अनेक बाबा प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करने को आतुर हो जाएंगे। क्योकि आंदोलनकारी कई संत आदि बद्री ओर कंकाचल पर्वतों व ब्रज की अमूल्य प्राकृतिक संपदा की रक्षा के लिए अपने प्राण देने को तत्पर हैं ।यदि प्रशासन का यही रवैया रहा तो एक हरिबोल दास ही नही बल्कि इस ब्रज भूमि के कई सेवक आत्मदाह को तैयार हो जायेंगें। संतों का कहना था यदि जिला प्रशासन अतिशीघ्र सरकार को स्थिति की गंभीरता से व दोनों पर्वतों को पूर्णतः खनन मुक्त करने के संबंध अपनी रिपोर्ट नही भेजता है तो प्रशासन को साधुओं का अच्छा खासा रोष झेलना पड़ेगा। जिसका स्वरूप कुछ भी हो सकता है । बैठक में भूरा बाबा, हरीबो दास बाबा, महंत शिवरामदास बाबा, गोपालमणि बाबा आदि के अलावा कई समाज के प्रबुद्ध लोगो ने अपने विचार रखे ।