नगरपालिका के नए बोर्ड गठन का एक वर्ष हुआ पूर्ण, फिर भी जनता विकास को तरसी
जनप्रतिनिधि राजनीति चमकाने में मस्त, जनता समस्याओं से त्रस्त
खैरथल (अलवर, राजस्थान/ हीरालाल भूरानी) खैरथल नगरपालिका के नए बोर्ड गठन का लगभग एक वर्ष पूर्ण हो गया है। इस एक साल में न तो पार्षदों की सुध ली गई और न ही आमजन की समस्याओं पर किसी ने ध्यान दिया। इस एक साल में खैरथल की जनता विकास को तरस गई है।
खैरथल नगरपालिका में भाजपा का बोर्ड बनने व विधायक कांग्रेस का होने की वजह से जरूरी सभी काम अटके पड़े हैं। इस बोर्ड में पुराने पार्षदों की संख्या बहुत कम होने से पहली बार बने नए पार्षदों की स्थिति सांप छछूंदर जैसी बनी हुई है। किसी भी विभाग के अधिकारी इन्हें गांठते तक नहीं। वहीं लगभग सभी पार्षदों के नाम के बोर्ड उनके वार्डों में अभी तक नहीं लग पाए हैं।नए पार्षद बोर्ड की मिटिंग बुलाने के लिए कई बार अधिशाषी अधिकारी को ज्ञापन भी दे चुके हैं लेकिन बोर्ड की मिटिंग ही नहीं हो रही है।
- पेयजल समस्या का स्थाई समाधान नहीं --
कस्बे में वर्षों पुरानी पेयजल समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है। गर्मियों के अलावा सर्दियों में लोग पानी के लिए रात भर रतजगा करने पर मजबूर हो रहे हैं। एक बार ट्यूबवेल की मोटर खराब हो जाए तो कई दिनों तक सही नहीं हो पाती है।मजबूरन लोग महंगे दाम पर टैंकरों से पानी मंगवाकर अपना गुजारा कर रहे हैं। वहीं वार्डों में सफाई व्यवस्था भी डांवाडोल है। कस्बे में चारों ओर लगे गंदगी के ढेर कस्बे के सौंपा को बिगाड़ रहे हैं।कोरोना बीमारी के बाद अब कस्बे में डेंगू का प्रकोप फैल रहा है। वहीं लगभग पूरे कस्बे की नालियां गंदगी से अटी पड़ी हुई है। सभी बड़े नालों में कीचड़ भरी हुई है।
- बड़ी समस्या जाम की कस्बे की सबसे बड़ी विकट समस्या जाम की है। थोड़ी देर के लिए रेलवे फाटक बंद होने पर स्थिति विकराल हो जाती है।लंबा जाम लगने से एंबुलेंस सहित दमकल गाड़ियों के साथ अनेकों वीआईपी लोग भी फंस जाते हैं लेकिन पालिका प्रशासन द्वारा सड़कों से अतिक्रमण हटाने के लिए राजी नहीं है।
कस्बे में पानी की पाइप लाइन के लिए खोदी गई सड़कें दो साल बाद भी नहीं सुधारी गई है। सड़कों पर गहरे गड्ढों की वजह से लोग रोजाना दुर्धटाओं के शिकार हो रहे हैं। नगरपालिका व सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा बनाए गए कस्बे के गौरव पथ की हालत इतनी जर्जर हो गई है कि अनेक छोटे व बड़े वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो चुके हैं लेकिन किसी भी सरकारी विभाग का ध्यान इस ओर नहीं है।