कोरोना मरीजों का हौंसला बढ़ाने के लिए ऑनलाइन काव्य- गोष्ठी आयोजित
भीलवाड़ा (राजस्थान/ राजकुमार गोयल) ऐसा दौर जब समाचार चैनल, अखबार और सोशल मीडिया के सारे पेज कोरोना की भयावहता की सूचनाओं से भरे पड़े हैं, नवोदित साहित्यिक प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने वाले भीलवाड़ा के समूह युगीन साहित्य प्रवाह ने कोरोना पीड़ितों में सकारात्मकता का संचार करने और उनमें जीवटता लाने के लिए ऑनलाइन युगीन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया। समूह के संयोजक योगेश दाधीच योगसा ने बताया कि यह ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी कोरोना महामारी के प्रति लोगों में सजगता लाने और मरीजों में उत्साहवर्धन के लिए थी।
काव्य-गोष्ठी में साहित्यकार सतीश व्यास 'आस' ने गजल 'राज़ की बात है राज़ रहने दो, कल बता देंगे आज रहने दो', कवि योगेश दाधीच 'योगसा' ने गीत 'नजरों का क्या कसूर जो तुमको ही देखता हूँ', रोहित 'सुकुमार' ने कविता 'समझो, आँसुओं से तुम्हारी मांग भर मैं विवाहित हो गया हूँ', मांडलगढ़ महाविद्यालय में सहायक आचार्य सूर्यप्रकाश पारीक 'सूरज' ने कविता 'अतीत था गौरवशाली, पर मूल्यों को ग्रंथों में हमने बंद कर दिए', अमिता पारीक 'खनक' ने गजल 'लकीर दर्द की छुपा उसे हँसते देखा, हरे-भरे दरख्त को अभी कटते देखा', और कला विशेषज्ञ पुखराज सोनी ने गीत 'एक प्यार का नगमा है' उसी धुन में गाया।
कार्यक्रम में युगीन साहित्य प्रवाह के संरक्षक पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी और साहित्यकार गोपाल लाल दाधीच, वरिष्ठ बाल साहित्यकार डाॅ. सत्यनारायण 'सत्य', अजीत सिंह कोटड़ी 'जयदेव', व्याख्याता रामावतार शर्मा, चन्द्रेश टेलर, घनश्याम शर्मा बादल, मुकेश सिंह मुक्तक एवं अन्य कई कवि एवं साहित्यकार जुड़े रहे। कार्यक्रम का उत्कृष्ट संचालन इंजिनियर एवं साहित्यकार प्रकाश पाराशर 'अमरगढ़' ने किया।