आँखों देखी हालत महसूस किया हुआ दर्द, 5 वर्षों में राजनीति का अखाड़ा बना भीलवाड़ा का उपनगर पुर
भीलवाड़ा, राजस्थान
भीलवाड़ा के उपनगर पुर को पहलवानों की नगरी के नाम से जाना जाता है परंतु विगत 5 सालों में नगर परिषद द्वारा उपनगर पुर की अनदेखी की गई जिसमें 4 वार्ड होते हुए 4 पार्षदों द्वारा उपनगर पुर में कोई ऐसा बड़ा कार्य नहीं किया गया जो कि नगर परिषद के 5 वर्षों की कहानी बयां करता हूं यो तो यहां के पहलवान अच्छे अच्छे को अखाड़े में मात देने में माहिर है परंतु राजनीति के चक्कर में उलझ गया उपनगर पुर जो चारों और राजनीति का शिकार होता गया और 50000 की आबादी के होने के बावजूद भी यहां पर सेटेलाइट हॉस्पिटल की सुविधा नहीं हो सकी केवल चुनावी वादा ही बन कर रह गया कोई भी बड़ा नेता चाहे विधायक और सांसद हो सभापति हो और चारों वार्ड के पार्षद हो उन्होंने कभी भी उपनगर पुर की समस्याओं को हाई लेवल पर नहीं पहुंचाया और अपने निजी स्वार्थ के लिए उपनगर पुर की बलि देते रहे और अपने राजनीतिक रोटियां सेकते रहे जनता को गुमराह करते रहे और तो और जनता भी इतनी बेवकूफ है कभी किसी पार्षद का विरोध तक नहीं किया और सहती रही हद तो तब हो गई जब एक बड़ा जन आंदोलन हुआ और मुख्यमंत्री द्वारा गांव का निरीक्षण किया गया और गांव की समस्याओं को देखा गया परंतु उच्च अधिकारियों को दिशा निर्देश देकर कार्य की इतिश्री कर ली और अभी तक जो मुद्दे थे उन मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बनी फाइलों में अटकी हुई है कुछ काम करवाये ओर लोगों को बेवकूफ बनाया और तो और यह उपनगर पुर धार्मिक नगरी और पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है परंतु यहां के नेताओं की इच्छाशक्ति की कमी की वजह से कोई भी पर्यटक स्थल ज्यादा विकसित नहीं हो पाया केवल चंद रुपए लगाकर कार्य की इतिश्री कर दी गई और सबसे बड़ा मुद्दा उपनगर पुर के बड़े तालाब का जो कि एक तालाब न हो कर गंदा नाला हो चुका है कहीं बाहर इस समस्या को जिला कलेक्टर, नगर परिषद सभापति, आयुक्त से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचाया गया परंतु 4 सालों में तालाब की हालत एक गंदे नाले की तरह हो गई है जिससे लोगों को चर्म रोग हो रहे हैं और मवेशियों को भी बीमारी हो जिससे पी कर मर रहे हैं परंतु अधिकारियों द्वारा कभी इस तालाब की ओर देखा तक भी नहीं गया केवल मात्र कागजों में इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई और कागजों में गंदे पानी को रोक दिया गया और पूरे तालाब की सफाई कर दी गई इस कार्य में पार्षद की अनदेखी बी भारी पड़ी लाख कोशिश करने के बाद जब चुनाव की आचार संहिता या चुनाव का समय पूरा होने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कार्य अपने हाथ में लेने के पश्चात इस मामले को लेकर अब नाले ने गति पकड़ी जिसमें क्षेत्रीय वार्ड वासियों द्वारा कहीं बाहर लिखित में दिया गया तब जाकर अब इस नाले की सुनवाई हो पा रही हैं मोक्ष धाम की दयनीय दशा भी इनके विकास को बयां कर रहे हैं और कहने को तो तब हंसी आती है जब पूरे नगर परिषद एरिया को ओडीएफ घोषित कर रखा है परंतु तालाब में जब चाहे जब आप ओडीएफ को लाइव देख सकते हैं और एक कंपनी के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया परंतु आंदोलन को विधायक महोदय भी सफल नहीं बना सके मात्र यह एक दिखावा बनकर रह गया और धरने प्रदर्शन होते रहे और धार्मिक स्थलों की हालत तो आप देख सकते हैं कभी भी गांव का प्रमुख बड़ा मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से है वह आज भी इस जर्जर अवस्था में है अगर भगवान ही दरारों में विराजित है तो भक्तों का क्या होगा यह है इन पार्षदों की अनदेखी अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो हर कोई नेता बनने की इच्छा शक्ति रखकर कार्य को करवा रहे हैं कहीं पर रोड पर कार्य हो रहे हैं और कहीं नालियां बन रही है ओर रोचक जानकारी सब्जी मंडी कि है गांव की सबसे बड़ी और पुरानी है वह भी जर्जर है जिसका निर्माण भूतपूर्व स्वर्गीय सभापति जगदीश चंद्र दरक के करवाया ओर क़भी भी बड़ा हादसा हो सकता है परंतु कभी इन्होंने नवीनीकरण की बजाय तो उस पर कलर तक भी नहीं करवा सके जगह-जगह उखडे रोड कभी चंबल के द्वारा पाइप लाइन डाली जाती है तो कभी ठेके द्वारा मनमर्जी से खोदे जाते हैं 5 साल तक उपनगर पुर की उपेक्षा होती रही जनता पीसती रही नेता अपने घर भरते रहे परंतु उपनगर पुर में तो विकास ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुए जब प्रशासन ने बागडोर संभाली तो गांव की रूपरेखा थोड़ी बदली बदली नजर आई परंतु लोगों के मन में एक ही सवाल है कि लगता है बहुत जल्दी चुनाव होने वाले हैं इसके तहत इस विकास कार्य को गति दी जा रही हैं एक तरफ कभी उपनगर पुर के लोगों का बोलबाला हुआ करता था परंतु आज नगर परिषद तक ही सीमित नहीं रहा यह उपनगर पुर में सीमित रह गया जनता और नेता जाने आगे क्या होगा
- राजकुमार गोयल की रिपोर्ट