दिव्यांगजनों को बचपन में ही शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया करा दी जाए तो उनके चेहरों पर स्थायी मुस्कान बिखेरी जा सकती है _ ड़ॉ. सविता गोस्वामी
अलवर, राजस्थान
बहरोड़- गरीब तबका के ऐसे ही बच्चों को आत्म निर्भर बनाने के लिए बहरोड़ की समाजसेवी संस्था मंथन फाउंडेशन का प्रयास अब औरों के लिए एक मिसाल बन गया है। संस्था की निदेशक ड़ॉ0 सविता गोस्वामी का कहना है की कई बार परिवार की गरीब परिस्थिति के चलते ही दिव्यांगों को मानसिक सहयोग भी नहीं मिल पाता है। ऐसे वक्त दिव्यांग अन्दर से टूट जाते हैं। ऐसे बच्चों का मंथन फाउंडेशन संस्था राह दिखाती है। संस्था के सदस्य गांव-गांव घूम कर गरीब तबका के दिव्यांग बच्चों की तलाश भी करते हैं। इनके परिजनों की सहमति से इन दिव्यांग बच्चों को आयुष अस्पताल में लाकर उन्हे थैरेपी, नि:शुल्क शिक्षा , स्वास्थ्य, खेल की सभी सुविधा मुहैया कराई जाती है इन दिनों मंथन संस्था द्वारा संचालित आयुष अस्पताल भवन में आस-पास के ग्रामीण अचंल के बच्चों को आत्म निर्भर बनाया जा रहा है। इनमें दृष्टि बाधित, पैरों से निश्क्त तथा मानसिक रोगी भी हैं। सभी बच्चों के लिए उनकी रूचि के अनुसार वातावरण तैयार करने से ये अपनी विकलांगता को कमजोरी नहीं समझ रहे हैं बल्कि एक चुनौती मान कर बचपन से ही उत्कृष्ट कार्यो में व्यस्त रहने लगे हैं। केयर टेकर ड़ॉ0 पीयूष गोस्वामी का कहना है कि कई बार ऐसे बच्चों की मन की बात को उनके चेहरों से समझना पड़ता है। इन बच्चों को भरपूर प्यार दिया जाए तो ये अपनी क्षमता से कई गुना अधिक परिश्रम करने से पीछे नहीं हटते हैं। यही कारण है कि अपने परिजनों से दूर रहने वाले इन दिव्यांग बच्चों की बातों को भलिभांति समझने के साथ उनके हित की बातों को भी आसानी से समझाना पड़ता है। इसके पहले दिव्यांग बच्चों के साथ काम करने वाली वसन्ति यादव का कहना था कि दिव्यांगों पर कई बार लोग जाने अनजाने में छींटाकशी करने से बाज नहीं आते। ऐसे वक्त भुक्तभोगी की मनोदशा को आसानी से पढ़ा जा सकता है। इसी वजह दिव्यांग बच्चों को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रखना पड़ता है।
समाजसेवी संस्था मंथन वर्तमान में 40 विशेष बच्चों को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं व साथ ही सहायक सामग्री भी उपलब्ध करवा रही हैं ।
1. मंथन दिव्यांग रिहैबिलिटेशन सेन्टर- विभिन्न थेरेपी जैसे फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी आदि द्वारा बच्चे को दैनिक कार्यों के लिए योग्य बनाना
2. मंथन स्पेशल स्कूल- बच्चों को शिक्षा प्रदान करना जैसे बच्चे का सामाजिक, व्यवहारिक, कार्य कुशलता आदि को विकसित करना ताकि वे सामान्य जीवन यापन कर सके।
3. मंथन दिव्यांग वोकेशनल सेन्टर- बच्चों को रोजगार के अवसर के लिए तैयार करना जिसमें आर्ट क्राफ्ट, कंप्यूटर, सिलाई, डांस, म्यूजिक आदि गुणों का विकास करना ताकि बच्चे आत्मनिर्भर बन सके।
4. सीबीआर सेन्टर- ग्रामीण इलाकों में बच्चों को शिक्षा एवं थेरेपी देना।
5.जागरूकता अभियान- दिव्यांगता के कारण एवं इससे बचने के उपायों के बारे में लोगों को जागरुक करना।
- मयंक शर्मा की रिपोर्ट