सकारात्मक चिंतन, ईश्वर भक्ति, यज्ञ व योगाभ्यास जरूरी - विद्यारत्न शास्त्री
बहरोड़ (अलवर,राजस्थान/ योगेश शर्मा) वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के इस भयावह संकट काल में सभी भयभीत हैं, ऐसे विकट समय में शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है इसके लिए सकारात्मक चिंतन,ईश्वर भक्ति यज्ञ व नियमित योगाभ्यास जरूरी है ये विचार क्षेत्र के योगाचार्य विद्यारत्न शास्त्री ने हनुमान जयंती के पावन अवसर पर बातचीत के दौरान व्यक्त किए । उन्होंने बताया कि हम घर में रहकर प्रातः एवं सांय योग के माध्यम से सपरिवार स्वस्थ रह सकते हैं योगिक क्रियाओं में विशेष रूप से सूर्यनमस्कार ,सामान्य आसन जैसे - शवासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, हलासन, चक्रासन, भुजंगासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, मंडूकासन, सिंहासन, उष्ट्रासन ,भद्रासन, पद्मासन, गोमुखासन, ताड़ासन ,वृक्षासन , त्रिकोणासन व प्राणायाम में विशेष रुप से कपालभाति, अनुलोम - विलोम, बाह्यवृत्ति, आभ्यांतरवृत्ति, उज्जायी, भस्त्रिका, भ्रामरी व उद्गीथ प्राणायाम साथ ही अग्निसार क्रिया व साइकिलिंग विशेष लाभकारी हैं । इन योगिक क्रियाओं से न केवल हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे अपितु हमारी इम्यूनिटी पावर भी बढ़ेगी व संक्रमण से हम बचे रह सकेंगे ।
यज्ञ से जहां वातावरण शुद्ध व हानिकारक कीटाणुओं से रहित होगा वहीं ईश्वर भक्ति से हमारा आत्मविश्वास व आत्मिक बल बढ़ेगा तथा सकारात्मक सोच के साथ हम आने वाली मुसीबत का आसानी से मुकाबला कर सकेंगे। साथ ही उन्होंने विशेष रूप से बच्चों से आग्रह किया है कि वे ठंडी चीजें जैसे - आइसक्रीम ,कोल्ड ड्रिंक्स व फ्रिज की ठंडी चीजें ना खाएं, गर्म पानी पीयें, रात को सोते समय अपने नाकों में सरसों का तेल या गाय का घी दो-दो बूंद डालें, दिन में कम से कम दो बार अजवाइन व कपूर रुमाल में बांधकर के सूंघे ताकि नाक खुले रहें, थोड़ी देर पेट के बल उल्टा लेटें। उल्टा लेटने से फेफड़े खुलते हैं जिससे ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है। हल्का सुपाच्य व सात्विक भोजन ग्रहण करें तथा उन्होंने सामाजिक दूरी की पालना करने, मास्क पहनने व अनावश्यक मानसिक तनाव से बचने की बात कहते हुए ईश्वर से सभी के स्वस्थ जीवन की मंगल कामना की।