धर्म ऐसी शक्ति है जिसे हर क्षण जागरूकता के साथ जीया जा सकता है- मुनि मोहजित
तेरापंथ के मुनियों का शाहपुरा प्रवास संपन्न
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के मुनि श्रीउदित कुमार जी व मुनिश्री मोहजीत कुमार जी का तीन दिनी शाहपुरा प्रवास शुक्रवार को संपन्न हुआ। आज उन्होंने माताजी का खेड़ा रहड़ की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान ढीकोला, शाहपुरा व रहड़ में अणुव्रत समिति शाहपुरा के तत्वावधान में कार्यक्रम किये गये।
ढीकोला व रहड़ के सीनियर हायर सैकंडरी स्कूल में आयोजित विद्यार्थियों की सभा में तेरापंथ धर्मसंघ के संतों ने कहा कि संसार में रहने के लिए धन, माया सब चाहिए लेकिन इन सबके साथ धर्म और अध्यात्म की चेतना भी जरूरी है। मन सोया रहेगा तो बाहरी जगत में बहुत कुछ करते हुए भी कुछ नहीं कर पाएंगे।
मुनि मोहजीत कुमार ने कहा कि हम बाहरी रूप से जागरूक हैं लेकिन आंतरिक रूप से जागरूक होने की जरूरत है। आत्मा एकत्व है। मन का दीप जल जाएगा तो बाहरी प्रवेश प्रभावित नहीं करेगा। इच्छाएं मन के साथ दौड़ती है। धर्म ऐसी शक्ति है जिसे हर क्षण जागरूकता के साथ जीया जा सकता है। मोह-माया/जागरण इनके लिए धर्म प्रेरणा देता है। संसार में आने के बाद पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण हो तो मन पर नियंत्रण किया जा सकता है और मन पर नियंत्रण हो जाए तो जीवन की दिशा बदल सकती है।
मुनि श्रीउदित कुमार ने कहा कि जब तक सम्यक दर्शन नहीं होगा यानी एका नहीं होगा तब तक सब व्यर्थ है। जन्म-मरण का कारण आस्रव है। छह जीव हैं। जीव नहीं दिखता लेकिन उसका शरीर दिखता है। चेतना नहीं दिखती। आचार्य महाश्रमण ने जीवन भर के लिए व्रत (संकल्प) किया। संयम करें, त्याग करें। जितना हो सके, संयम का विकास करें।
मुनि श्री उदित कुमार जी ने ग्रामीणों से विमर्श के दौरान कहा कि भारत देश कृषि व ऋषि प्रधान देश है। सद्भावना नैतिकता नशामुक्ति ,प्रमाणिकता के लिए पूज्य महाश्रमण की तीन देशों के साथ 55000 किलोमीटर की यात्रा अनवरत जारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अच्छे आदमी व सच्चे आदमी बने। विद्या के साथ विवेक होने पर ही लाभकारी होती है। उन्होंने जीवन विज्ञान के प्रयोग भी करवाएं।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय .रहड़ में जैन संतों का आज पदार्पण हुआ। यह विद्यालय के लिए बहुत ही गौरव की बात है। जैन मुनि श्री मोहजीत कुमार जी ने प्रार्थना सभा में बच्चों को बहुत ही प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। उन्होंने अणुव्रत के बारे में बताया। प्रधानाचार्य हेमराज खटीक ने तथा पूरे स्टाफ ने जैन मुनियों का स्वागत किया और विद्यालय में पधारने के लिए आभार व्यक्त किया।
शाहपुरा में अणुव्रत समिति पदाधिकारियों से विमर्श करते हुए संतों ने कहा कि संतों का आगमन लोगों को सत्संग में बुलाता है और उन्हें धर्म के नजदीक आने का अवसर प्रदान करता है। 84 लाख योनियों में एकमात्र मनुष्य योनि है जिसमें व्यक्ति अपनी योनियों का उद्धार कर सकता है। संयम की ओर अग्रसर हों, ज्ञान प्राप्त करें और लक्ष्य अवश्य निर्धारित करें। मुनियों के प्रवास के दौरान अणुव्रत समिति के सचिव गोपाल पंचोली, पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा, जैन श्रावक संघ के सरंक्षक देवेंद्रसिंह बूलियां भी साथ रहे।