श्रीकृष्ण विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधकीय गुरु - प्रो. सक्सेना
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) कृष्ण जन्माष्टमी के पावन उपलक्ष्य में संगम विश्वविद्यालय भीलवाड़ा में भारतीय प्राचीन संस्कृति का परिचय करवाने और श्रीकृष्ण के जीवन से व्यावहारिक शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से ऑनलाइन माध्यम से राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न भागों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करुणेश सक्सेना ने बताया कि श्रीकृष्ण विश्व के आज तक के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधकीय गुरु हैं जिन्होने विश्व को सबसे पहले प्रबन्धन का पाठ पढ़ाया था। कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. दिपेश कुमार विश्नावत की श्रीकृष्ण वंदना से हुआ। अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत स्कूल ऑफ आर्ट्स एण्ड ह्मुमैनिटिज के सह-अधिष्ठाता डॉ. रजनीश शर्मा ने किया। उन्होने बताया कि श्रीकृष्ण एक सफल शासक] उद्घोषक और नेतृत्वकर्ता हैं और उनके उपदेश वर्तमान में भी सर्वथा प्रासंगिक हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सिंघल फाउण्डेशन के संस्कृतविद् डॉ. योगेश पालीवाल थे। डॉ. पालीवाल ने श्रीकृष्ण का जीवन परिचय कराते हुए बताया कि श्रीकृष्ण के जीवन में एक भी ऐसा कार्य नहीं है जो उन्होने स्वयं के लिए किया है। उनके प्रत्येक कार्य में लोक कल्याण का भाव है। डॉ. पालीवाल ने भक्ति का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताया कि श्रीकृष्ण ने भक्ति को कर्मवाद से जोड़ा है अर्थात् बिना कर्म के भक्ति संभव नहीं है और यदि कर्म ही भक्ति बन जाये जो मनुष्य गलत मार्ग पर कभी नहीं जायेगा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. जोरावर सिंह के अनुसार विश्व में व्यवहारवाद के जनक श्रीकृष्ण हैं जिन्होने मनुष्य जीवन] राजनीति और प्रशासन में व्यवहारवाद का परिचय करवाया। पाश्चात्य विश्व में व्यवहारवाद 18वीं-19वीं शताब्दी में आया है जबकि भारत में पांच हजार वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश में इसका परिचय करवा दिया था। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग डॉ. हितकरण सिंह ने दिया था।