देश भर के साधु संतों की भावनाओ का ध्यान रख मुख्यमंत्री अविलंब कनकाचल व आदिबद्री पर्वत को संरक्षित करें- मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज
सदस्यता अभियान को लेकर लोगो मे भारी उत्साह, सक्रिय सदस्यो की संख्या हुई पहुची 4 हजार
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम् जैन) आदि बद्री व कनकाचल पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में जारी धरने के 216 दिन शुक्रवार को गांव पसोपा में धरना स्थल पर ग्रामीणों व साधु संतों का क्रमिक अनशन जारी रहा। शुक्रवार को राधेश्याम, हनुमान बाबा, नारायण बाबा, महेंद्र एवं चन्नी भगत क्रमिक अनशन पर बैठे । शुक्रवार को मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास जी महाराज ने आंदोलनकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए आंदोलन की आगे की कार्रवाई के बारे में जानकारी प्राप्त की और साथ ही निर्देश दिए कि देशभर के सभी साधु संतों को इस आंदोलन के बारे में पूर्ण रूप से अवगत कराया जाए। उन्होंने पथमेड़ा गौशाला के श्री दत्तशरणानंद महाराज से भी आग्रह किया कि वह अतिशीघ्र राजस्थान के मुख्यमंत्री से वार्ता कर ब्रज के दोनों आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन की विभीषिका से मुक्त कराकर संरक्षित करवाएं।
उन्होंने अत्यंत पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे को लेकर विगत 216 दिनों से साधु-संतों और बड़ी संख्या में ब्रजवासियों का धरना जारी है, लेकिन सरकार द्धारा इस विषय में अभी तक कार्यवाही नहीं की गई । इस पर उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे साधु संतों की अपील को तत्काल मानते हुए एवं यह जानते हुए कि ब्रज के इन पर्वतों के रक्षण का मुद्दा देशभर के साधु समाज का मुद्दा है, दोनों पर्वतों को अविलंब संरक्षित व सुरक्षित करें। इस अवसर पर संरक्षण समिति के अध्यक्ष महंत शिवरामदास, संरक्षक राधाकांत शास्त्री, हरि बोल बाबा, भूरा बाबा, कृष्ण दास, ब्रजशरण बाबा आदि मोजूद थे। शुक्रवार को आंदोलन के सक्रिय सदस्यता अभियान में ब्रजकिशोर बाबा के नेतृत्व में कई गांवों में जनसंपर्क और सभाएं कर 500 से अधिक सक्रिय सदस्यों बनाए गए। ब्रजकिशोर बाबा ने बताया कि अभी तक उत्तरप्रदेश एवं राजस्थान के 40 से अधिक गांवों में जनसभाएं की जा चुकी है व हर गांव में से 100 से 200 के बीच में सक्रिय सदस्य बनाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 6 सितंबर को 75 गांवों के सक्रिय सदस्य एवं सचिवों का अधिवेशन पसोपा धरना स्थल पर रखा गया है। इस अवसर पर उनके साथ रूपकिशोर मोहन दास कन्हैया दास श्यामसुंदर दास राजवीर भगत राजेंद्र दास बरसाना शरण आदि उपस्थित रहे।