नगर में संत का आना भाग्य की बात -आचार्य संयम सागर
भरतपुर,राजस्थान/ पदम चंद जैन
डीग (4दिसम्बर)- मां-बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढ़ाना और लिखाना व पढ़ा लिखा कर खूब कामयाब और लायक बनाना मगर इतना लायक भी मत बना देना कि वह कल तुम्हें नालायक समझने लगे ।अगर तुमने आज यह भूल कर दी तो कल बुढ़ापे में तुम्हें बहुत रोना और पछताना पड़ेगा यह बात ड़ीग कस्बे पुरानी ड़ीग स्थित श्री चंद्र प्रभु जैन मंदिर में प्रबचन करते हुए है जैन मुनि आचार्य सन्मय सागर महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि यह बात तुम्हें इसलिए कहता हूं क्योंकि कुछ लोग यह भूल जीवन में लागातार कर रहे हो । जैन मुनि संयम सागर ने कहा कि नगर में संत का आना भाग्य की बात होती है, संत का आपके घर आना अहोभाग्य है। संत को याद करना सौभाग्य है, संत हमें याद करें यह परम भाग्य है।स्वयं संत हो जाना यह महा भाग्य है इतना सब होते हुए भी हम ना सुधरे तो यह दुर्भाग्य है। इस मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद जैन ,वीरेंद्र जैन ,धर्मेंद्र जैन, सुशील जैन ,वंशी जैन, भारत भूषण जैन, संजय जैन साहित जैन समाज के काफी लोग उपस्थित थे।