केंद्र सरकार अडियल रवैया छोडक़र किसानों की मांगें स्वीकार करें- श्रममंत्री जूली
अलवर/दिनेश लेखी
अलवर। श्रम, कारखाना एवं बॉयलर्स निरीक्षण विभाग (स्वतंत्र प्रभार), सहकारिता एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना विभाग राज्य मंत्री टीकाराम जूली ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों को नए कानून के नाम पर भ्रमित कर अड़ानी-अंबानी जैसे पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। श्रम मंत्री जूली सोमवार को नटनी का बारां क्षेत्र में आयोजित किसान संवाद कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कानून अभी बने भी नहीं और पूंजीपतियों ने विभिन्न क्षेत्रों में बड़े-बड़े गोदाम बनाने शुरू कर दिये। केंद्र सरकार किसानों को पंूजीपतियों के मकडजाल में फंसाना चाहती है। किसान अपनी फसल को कहीं पर भी बेच सकते है और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसान को उसकी फसल का न्यूनतम वाजिब दाम हर हाल में मिले।
श्रम राज्य मंत्री ने कहा कि पडोसी राज्य हरियाणा में भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद भी राजस्थान के किसानों का बाजरा खरीदने से हरियाणा सरकार ने मना कर दिया। इससे केंद्र सरकार की कथनी और करनी का फर्क समझा जा सकता है। एक तरफ भाजपा की केंद्र सरकार किसान को कही भी फसल बेचने का अधिकार देने का ढिंढोरा पीट रही है वहीं उसकी अपनी पार्टी की ही हरियाणा सरकार पडोसी राज्य के किसानों की फसल को खरीदने से मना कर रही है। उन्होंने कहा कि कृषि प्रधान भारत देश में 75 प्रतिशत किसान हैं। इतनी बड़ी किसानों की संख्या को नजरअंदाज करते हुए केन्द्र की मोदी सरकार किसानों के हितों पर कुठाराघात करते हुए राज करने का प्रयास कर रही है। केन्द्र सरकार की किसानों की अहित की इन नीतियों से ईस्ट इंडिया के जैसे दबाव वाला भारत नजर आ रहा है। भाजपा की सरकार को इस बात पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को शोषण से बचाने की नीयत के साथ केंद्र की सरकार को काम करना होगा। श्रम मंत्री ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह बिना किसी शर्त के किसानों के लिए बनाए नए कानून वापस लें। किसान आंदोलन में किसान ही नहीं देश के सभी नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। जबकि केंद्र सरकार अपने अडियल रवैये को छोडऩे के लिए तैयार ही नहीं है। इस अवसर पर सभापति बीना गुप्ता, पूर्व प्रधान शिवलाल गुर्जर, प्रेम पटेल, महेश सैनी, बच्चू सिंह चौधरी, पेमाराम सैनी, अजय अग्रवाल, राकेश बैरवा, हरिकिशन मीना, अजीत सिंह, शादी खां, उमरदीन, सम्मा खां, हजारी लाल मीना आदि उपस्थित थे।