आठ माह से पुलिस व फौजी के फासले का अंत, पुलिस की जवाबी फायरिंग में राजू फौजी के पैर मे लगी गोली, गिरफ्तार
भीलवाडा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) दो कांस्टेबल की हत्या का आरोपी राजू फौजी को अंततः जोधपुर से गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार करने गए पुलिस दल पर राजूराम ने फायरिंग की.जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की जिससे राजूराम के पैर में गोली लगी, जिसके बाद उसे जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां राजूराम का उपचार जारी है.
वहीं एमडीएम अस्पताल पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है और भारी पुलिस जाब्ता तैनात है.लम्बे समय से फरार चल रहा राजू फौजी को जोधपुर पुलिस कमिश्नर जोस मोहन के निर्देशन वाली टीम व अजमेर रेंज आई जी एस सेंगथियर द्वारा गठित टीम द्वारा गिरफ्तार किया गया है.प्रदेश के कोने-कोने में राजू फौजी की तलाश की जा रही थी.राजू फौजी के चार साथियों को पहले ही गिरफ्तार किया गया था.
जोधपुर के हिस्ट्रीशीटर कैलाश मांजू की भी राजू फौजी ने सुपारी ली थी.सेना की ड्यूटी से भागकर राजू अपराध की दुनिया में जुड गया था.तस्करी व मारपीट जैसे अपराधों में राजू फौजी लिप्त रहा है.अपने रिश्तेदार की राजू फौजी ने नाक तक काट डाली थी.पूछताछ के बाद राजू फौजी को भीलवाडा पुलिस को सुपुर्द किया जा सकता है.भीलवाडा पुलिस सरगर्मी से राजू फौजी की तलाश कर रही थी.
पुलिस गिरफ्त से बचने के लिए इंटरनेट कॉलिंग करता
शातिर राजू मोबाइल के जरिये लोगों से बात करने के बजाय इंटरनेट कॉलिंग ही ज्यादा करता है। इसके अलावा वह लोगों से मोबाइल मांग बात करता था। ऐसे में पुलिस के साइबर एक्सपर्ट के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती थी कि राजू का पता कैसे लगाया जाए। आखिरकार साइबर एक्सपर्ट्स ने उसका आईपी एड्रेस खोज निकाला और पुलिस उस तक जा पहुंची।
फौजी शहर में ही छिप कर बैठा था, पुलिस राजू फौजी को कई जगह तलाश कर रही थी, लेकिन जोधपुर शहर में ही छिप कर बैठा रहा। राजू को आठ माह तक पुलिस से बचाकर रखने में कुछ अन्य तस्करों का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। एक तस्कर के करीबी माने जाने वाले लूणाराम के घर पर ही राजू फौजी ठहरा हुआ था। लूणाराम को हिरासत में लेकर अब पुलिस पूछताछ में जुटी है।इस वर्ष 10 अप्रैल को भीलवाड़ा में तस्करों का पीछा करने के दौरान दोनों पक्ष की तरफ से गोलियां चली। इसमें पुलिस के दो जवान शहीद हो गए थे। इस मामले में भी यह माना जा रहा था कि जोधपुर के एक नामी तस्कर की इस मामले में अहम भूमिका है। इस मामले में तस्कर हनुमान सियाग से भी पूछताछ की गई थी।
- फौजी को बचाने में तस्करों का नेटवर्क अहम रोल
सूत्रों का कहना है कि राजू फौजी को पुलिस से बचाने में सबसे अहम रोल मारवाड़ में एक्टिव कुछ तस्करों का रहा। इन तस्करों का पूरे मारवाड़ में बहुत बड़ा नेटवर्क है। इस नेटवर्क के दम पर राजू फौजी को अलग-अलग स्थान पर शरण मिलती रही और वह पुलिस से बचता रहा। अब शहर के बाहरी छोर पर स्थित खोखरिया गांव के जिस मकान में उसने शरण ले रखी थी वह एक तस्कर के गुर्गे लूणाराम का मकान था। लूणाराम से पूछताछ में कई अहम राज सामने आने की संभावना है।
- भीलवाड़ा के दो थानेदार भी थे राजू को दबोचने में
राजू फौजी को दबोचने में भीलवाड़ा पुलिस के दो जांबाज थानेदार सुनील चौधरी व सुरजीत ठोलिया की भी अहम भूमिका रही ,इनके साथ भीलवाड़ा पुलिस के जवान भी थे।
- अब तक 15 मामले दर्ज
राजू फौजी के खिलाफ पहला मामला वर्ष 2005 में जोधपुर के शास्त्री नगर थाने में दर्ज हुआ। अब तक उसके खिलाफ 15 मामले दर्ज हो चुके हैं। राजू कई बड़े तस्करों से भी जुड़ा। 2013 से अपने स्तर पर तस्करी करने लगा। उसने अफीम व डोडा पोस्त की तस्करी में खूब पैसा कमाया। राजू ने कई लोगों को अपने साथ जोड़ लिया। कई हथियार भी जुटा लिए।
- हार्डकोर अपराधी कैलाश मांजू की सुपारी ली
हार्डकोर अपराधी कैलाश मांजू को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने हाल ही में लाखों रुपए में सुपारी ली थी। वह उसे मार पाता उससे पहले मामला खुल गया और उसके कुछ साथी पुलिस की पकड़ में आ गए। इस बीच उसने अफीम की बड़ी खेप लाने के दौरान भीलवाड़ा में पुलिस के 2 कांस्टेबल की हत्या कर दी।