त्याग, बलिदान और सच्चाई की राह पर चलना ही हुसैनी होने का सबूत - रब्बानी
मकराना (नागौर, राजस्थान/ मोहम्मद शहजाद)। इमाम हुसैन की याद में शनिवार की देर शाम एक जलसा जश्ने शहीद-ए-आजम के नाम से होम सिग्नल के पास निपेन्सी रोड़ पर नौजवान मोहल्ले वासियों की ओर से आयोजित किया गया। जलसे में कादरी मस्जिद के इमाम मौलाना असलम रब्बानी ने खुसुशी खतीब के तौर पर आमजन को खिताब किया। मौलाना ने इमाम हुसैन की कर्बला के मैदान में हुई शहादत पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि नमाज हर मोमिन पर फर्ज है। इमाम ने कर्बला के मैदान में नमाज नहीं छोड़ी। मौलाना ने अपनी तकरीर में बताया कि किस तरह कर्बला के मैदान में यजीदियों की ओर से पानी की पाबंदी लगाई गई और उन्हीं की याद में आज जगह जगह हुसैनियों की ओर से पानी की सबील और हुसैनी लंगर चलाया जाता है। इमाम हुसैन ने इस्लाम की खातिर अपने परिवार को कुर्बान किया और शहीद हो गए लेकिन बातिल के आगे सिर नहीं झुकाया। मौलाना ने कहा कि त्याग, बलिदान और सच्चाई की राह पर चलना ही हुसैनी होने का सबूत है। जलसे में खुनखुना से आए नात ख्वां मोहम्मद आसिफ बरकाती ने अपनी दिलकश आवाज़ से हम्द, उनका मांगता हूं जो मंगता नहीं होने देते, मेरे आका हमें रुसवा नही होने देते, तू शाहे खुबा ए जाने जाना, मुन्नवर मेरी आँखों को मेरे शम्शो दुहा करदे, नबी मुख्तार ए कुल है जिसको जो चाहे अता करदे, मेरा मौला मौला हुसैन है जैसे कई नात व मनकबत पढ़े। इनके अलावा हाफिज अब्दुल मजीद, मोहम्मद इमरान, मौलाना शब्बीर रजा ने भी नात व तकरीर पेश की। जलसे में कारी शराफत अली, शाहबाज भाटी, सलमान खान, हाजी हारून गैसावत, अब्दुल जब्बार गैसावत, मोहम्मद हारून बेहलिम, अब्दुल जब्बार टांक, मुन्ना टांक, मोहम्मद सलीम गैसावत सहित अन्य मौजूद रहे।