भारतिय संस्कृति में पानी के परिंडा का महत्व कुछ अजीब
बुजुर्ग महिला नानगी देवी शर्मा उम्र अस्सी वर्ष ने बताया कि बच्चों की जब आवाज नहीं निकलती थी तब हम बच्चे को परिंदा से चिडीयों का झुंठा पानी पिलाते थे जिससे बच्चे जल्दी ही बोलने के साथ साफ आवाज में बोलने लगते थे।
थानागाजी,(अलवर)
परिंदा के बारे में अक्सर यह देखा वो कहां जाता हैं की परिंदा परिंदों के पानी की व्यवस्था के लिए लगाया जाता हैं, लेकिन यह हमारी सोच अधुरी है, केवल पानी पिलाने के लिए ही परिंदा नहीं लगाया जाता हैं। यह धार्मिक आस्थाओं के साथ भी जुड़ा हुआ है अपनें परिवार, बाल गोपाल व सुख सम्पदा के लिए भी आस्थाओं के साथ परिंदा लगाया जाता हैं तथा देखा जाए तो यह परिंदा का महत्व यही खत्म नहीं हो जाता की सुख समृद्धि के लिए लागाऐ इसको वैज्ञानिक व समाजिक विचारधाराओं के साथ देखा जाए तो बहुत सारे तथ्यात्मक जानकारियां इसके प्रति समाज के हर व्यक्ति के पास ग्रामीण क्षेत्रों में सुनने व देखने को मिलती हैं। बहुत से लोग अपनें घरों में वर्ष भर पानी भरकर रखतें हैं वहीं कुछ लोग गर्मी प्रारंभ होने के साथ ही परिंदा लगाना प्रारंभ कर देते ।
आज परिंदा के महत्व पर वयोवृद्धों से हुई परिचर्चाओं के माध्यम से निकल कर आया की यह सामान्य रूप से छोटे-छोटे वन्य जीवों की रक्षा के लिए हर धर्म के व्यक्ति द्वारा लगाया जाता है, वहीं अपनें परिवारों की खुशहाली के लिए तथा साथ ही यदि छोटे-छोटे बच्चों को जन्म के बाद आवाज नहीं आति वो बोल नही सकतें तब भी उन बच्चों को नहने पक्षियों के परिंदा से पानी पिलाने के बाद आवाज निकलने लग जाती थीं, बुजुर्ग महिला नानगी देवी शर्मा उम्र अस्सी वर्ष ने बताया कि बच्चों की जब आवाज नहीं निकलती थी तब हम बच्चे को परिंदा से चिडीयों का झुंठा पानी पिलाते थे जिससे बच्चे जल्दी ही बोलने के साथ साफ आवाज में बोलने लगते थे।
लक्ष्मण राम मीणा से पता चला कि व्यक्ति के कुरुर स्वभाव व दुसरे प्राणियों के प्रति व्यक्ति की मानसिकता सही नहीं होने पर उसे शान्त स्वभाव के साथ ही दयालु व वन्य जीव प्रेमी बनानें के लिए उसे इस धार्मिक आस्था से जोडां जाता था । वहीं इन परिंदों की चहल कदमी घर की खुशहाली को बढ़ाने में सहायक होती हैं , परिवार में भाई चारा पैदा होता है।
हमें परिंदा के प्रति विविध किंवदंतियों , कहानियों व यथार्थ में लोगों की जुबानी से जो जानकारियां मिल रही है उन सभी में पाई जाती रही अच्छाईयों को मध्य नजर रखतें हुऐ हर जन को अपने घर, खेत व बाग बगीचे में परिंदों के लिए परिंदा लगाना चाहिए व परिंदा लगाओ परिंदें बचाओं अभियान में सहयोग करना चाहिए, जिससे इन प्राणियों को बचाया जा सके।
राम भरोस मीणा (प्रकृति प्रेमी)
एल पी एस विकास संस्थान
थानागाजी,अलवर
(राजस्थान)भारत
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