भाई दूज का पर्व मना,भाई की लंबी आयु की कामना करती है बहनें
अलवर,राजस्थान
कठूमर::- दिवाली और गोवर्धन के पर्व की तरह ही भाई दूज के त्योहार का भी बहुत महत्व है. यह त्योहार दिवाली के दो दिन बाद यानी गोवर्धन पर्व के अगले दिन मनाया जाता है, भाई दूज पर्व भाइयों के प्रति बहनों की श्रद्धा और विश्वास का पर्व है. भाई दूज का पर्व इस बार 17 नवंबर 2020 को मनाया जा रहा है यह कार्तिक शुल्क द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में इस दिन भाई दोज कहा जाता है इस दिन यम देवता धरती पर आते हैं इसलिए इस दिन का धर्म ग्रंथों में काफी महत्व बताया गया है इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करके उन्हें नर्क में दी जाने वाली यात्राओं से बचाती हैं इस बार भाई दूज पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण शुभ है इस दिन एक साथ कई संयोग शुभ बन रहे हैं जैसा कि भाई दूज के दिन तिलक भाई को तिलक लगा करती हैं इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त 1:18 से 3:30 तक है इस कार्तिक के हिंदू महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस के रूप में मनाया जाता है भाई दूज का पर्व भाई-बहन के स्नेह त्याग और समर्पण का प्रतीक है इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और उनकी समृद्धि की कामना करती है जिसे भारत में भाई-बहन के बीच में बंधन मनाने के लिए मनाया जाता है भाई दूज की पूजन विधि में इस दिन सुबह नहा धोकर अपने भाई को तिलक करती है इसके बाद भाई कोई एक पाठ पर बैठाकर बहने अपने भाई को भी चावल का टीका लगाती फिर भाई की थाली में कलाई धागा रोडी चावल नारियल गोला रखती हैं भाई के हाथ पर कलावंती तथा मुंह मीठा किया जाता है इसी के साथ लंबी आयु स्वस्थ जीवन सफलता की कामना करें इसके बाद भाई की आरती करें उसके बाद उसे भोजन करवाएं एतवार भाई दूज कहलाता है इसी पर्व को देखते हुए कस्बा कठूमर में भी भाई बहन का त्यौहार मनाने की जगह जगह देखने को मिल रहा है।