कोविड-19 के प्रकोप के चलते मन्दिरों में नहीं लगाई पंगत, प्रसादी का हुआ वितरण
अलवर,राजस्थान / योगेश शर्मा
बहरोड़। दीपावली के बाद रविवार को गोवर्धन पूजा का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया गया। घरों की साफ सफाई कर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा अर्चना की गई। किसानों ने अपने कृषि यंत्रों की पूजा की, तो घरों में रखे सामानों की भी पूजा हुई। वहीं मंदिरों में भी इस अवसर पर हवन पूजन हुए और अन्नकूट के प्रसाद का वितरण किया गया। जानकारी के अनुसार हर वर्ष दीपावली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने आज ही के दिन इन्द्र का मान मर्दन कर गिरिराज का पूजन किया था। तभी से गोवर्धन पूजा का त्योहार अनवरत रूप से चला आ रहा है। इसी क्रम में रविवार को बहरोड़ उपखण्ड क्षेत्र में गाय के गोबर से घरों व मन्दिरों में मनुष्याकार रूप में गोवर्धन बनाया गया और उनका आकर्षक श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर मन्दिरों में सुबह कढ़ी, बाजरा, चावल व मिश्रित सब्जियों की भुजी बनाकर गाय के गौबर से बने गौवर्धन और ठाकुर जी को भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।
श्रद्धालुओं ने मन्दिर से मिले प्रसाद से घरों में बनाये गये गौवर्धन को भोग लगाकर भोजन किया। आपको बतादेें कि हर वर्ष गौवर्धन कि दिन मन्दिरों में अन्नकूट का प्रसाद बनाकर पंगत में बैठाकर भोजन कराया जाता रहा है। लेकिन अबकी बार कोरोना वायरस के चलते सरकार द्वारा जारी किये कोविड19 के नियमों के पालन में पंगत नहीं लगाई जा रही है। केवल भक्तों को अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया गया है। संध्या के समय गोवर्धन की पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील बताशे और मिठाई का भोग लगाया गया। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है। इस अवसर पर श्री सीताराम मन्दिर, श्री ठाकुर जी मन्दिर, श्री राधा-कृष्ण मन्दिर और श्री श्याम जी मन्दिर में अन्नकूट का प्रसाद वितरण किया गया।