तीसरा सालाना उर्से ताजुश़ श़रीअह बङी अकीदत से मनाया
मकराना (नागौर, राजस्थान) हिन्दुस्तान की एक अज़ीम मशहूर ख़ानक़ाह दरगाहे आला हज़रत बरेली शरीफ के सच्चे इल्मी व रुहानी जानशीन अल्लामा मुफ्ती अख़्तर रज़ा खान कादरी अज़हरी जिन्हे ज़माने भर मे ताजुश़ श़रीअह लक़ब से शोहरत हासिल थी देश विदेश के मुसलिम रहनुमाओं आलिमों के नज़्दीक उनका इल्मी मकाम बहुत ऊंचा था। देश विदेश से लोग उनसे मज़हबी रहनुमाई हासिल करते उनसे फतवा पूछते। गत 20 जुलाई 2018 को उनके इंतिक़ाल की खबर सुनकर पूरा देश गम मे ङूब गया था। तब से हर साल उनकी याद मे उनके चाहने वाले अकीदतमन्द पूरी दुनिया मे उनका उर्स मनाते हैं। इस साल भी उनका तीसरा सालाना उर्स पूरी दुनिया मे बङी अकीदत से मनाया गया। कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए ऑडियो वेबिनार के माध्यम देश विदेश मे सुना गया। सुन्नी नगीना मस्जिद मोहल्ला दौला कूआँ के इमाम मौलाना गुलाम रसूल क़ादरी ने बताया कि तीसरे सालाना उर्से ताजुश श़रीअह के मौके से कुरआन ख्वानी कर कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। इस मौके पर मौलाना क़ादरी ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा की हुजूर ताजुश शरीअह को अल्लाह ने ऐसी इज़्ज़त अता फरमाई थी कि वो दुनिया के जिस खित्ते मे चले जाते वहाँ हजारों लाखों चाहने वालों का हुजूम लग जाता, उनकी बातों मे ऐसा असर था कि जिस भटके हुवे इंसान को नसीहत फरमाते वो गुनाहों से हाथो हाथ तौबा कर लेता। उन्हे उर्दू, अरबी के इलावा बहुत सी ज़बानो मे महारत हासिल थी। वो मिस्र क़ाहिरा की मशहूर यूनिवर्सिटी जामिअतुल अज़हर से फारिग़ थे, इसी वजह से मुसलमानो का एक बङा तबक़ा उन्हे लक़ब अज़हरी से जानता था।
इसी प्रकार तंजीम आइम्मा ए मसाजिद के नाजिमे आला हजरत मौलाना कमर आलम रजवी इमाम सुन्नी शाहजहानी मोड़ी मस्जिद ने बताया कि सभी अकीदतमंदों को उर्स की मुबारकबाद दी गई और सभी सुन्नी मस्जिदों में फातेहा ख्वानी, कुरान ख्वानी कर देश व दुनिया की हिफाजत सहित कोरोना जैसी बीमारी से हिफाजत की दुआ की। नमाज़ के बाद हल्क़ा ए जिक्र व दुआ करके तबर्रुक तक्सीम किया गया।