ब्रज के पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को खनन मुक्त करने के लिए पसोपा में 132 वे दिन भी धरना जारी

वैध खनन की आड़ में कामां तहसील के संरक्षित वन क्षेत्र में हो रहा है भारी मात्रा में अवैध खनन

May 27, 2021 - 22:32
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ब्रज के पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को खनन मुक्त करने के लिए पसोपा में 132 वे दिन भी धरना जारी

भरतपुर जिले के डीग उपखंड के आदि बद्री व कनकाचल पर्वत के पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ड़ीग उप खंड के गांव पसोपा में जारी धरने के 132 वे दिन गुरुवार को धरना स्थल पर  एक लघु सभा का आयोजन किया गया । सभा में आंदोलन से जुड़े मुख्य कार्यकर्ता सम्मिलित हुए तथा कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए सभा में आंदोलन व धरने की आगे की रणनीति को लेकर गहन चर्चा की गई । इस अवसर पर संरक्षण समिति के संरक्षक राधा कांत शास्त्री ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते व इसको लेकर  प्रशासन के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का सम्मान करते हुए हमने अपने धरने व आंदोलन को धीमा कर रखा है। लेकिन सरकार व जिला प्रशासन यह बात समझ ले कि यह आंदोलन व धरना तब तक नहीं समाप्त होगा। जब तक  आदिबद्री और कंकाचल को पर्वत संपूर्ण रूप से खनन मुक्त होकर संरक्षित घोषित नहीं हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वे अभी भी मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिवों से लगातार संपर्क में है।  वर्तमान में प्रदेश में व्याप्त राष्ट्रीय आपदा कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते अभी तक सरकार द्वारा  आदिबद्री औऱ कंकाचल पर्वतो को वन संरक्षित क्षेत्र में स्थान्तरित करने की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई है। लेकिन सरकार ने पूर्ण आश्वस्त किया है की मुख्यमंत्री के अनुमोदन के तुरंत बाद उपयुक्त क्षेत्र को संरक्षित वन में ट्रांसफर  कर दिया जाएगा । किसान नेता सुल्तान सिंह ने कहा कि प्रदेश मुख्यमंत्री द्वारा ब्रज के पर्वतों को खनन मुक्त करने के लिए पूर्ण आश्वासन दिए हुए आज 51 दिन हो गए हैं लेकिन हमें अभी भी विश्वास है कि वे निश्चित रूप से हमारे ब्रज की धार्मिक धरोहर इन पर्वतों के संरक्षण के लिए अतिशीघ्र अध्यादेश जारी करेंगे । समिति के संगठन सचिव ब्रजकिशोर बाबा ने कहा कि सभी आंदोलनकारी यह बात समझते हैं कि वर्तमान में प्रदेश ही नहीं पूरा राष्ट्र कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से जूझ रहा है  जिसके कारण अधिकतर सरकारी दफ्तर बंद है। व काम बहुत धीमी गति से चल रहा है ।इसी के चलते सभी आंदोलनकारी भी अभी शांत बैठे हैं। लेकिन अगर स्थिति सामान्य होने तक हमारे ब्रज के पर्वतों को पूर्ण रूप से संरक्षित नहीं किया गया तो यह आंदोलन निश्चित रूप से बहुत बड़ा उग्र रूप ले लेगा। इस मौके पर धरना स्थल पर प्रमुख रूप से ब्रजकिशोर दास, प्रिया दास, अनिल प्रभुदास, शशि प्रकाश पांडे ,गोपाल दास ,चंद्रभान ब्रजवासी, युवराज,  हनुमान दास, नारायणदास,  विजयदास आदि साधु संत मोजूद थे।

  • रिपोर्ट- पदम जैन 

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