नवरात्रा लगने के साथ ही गुरलां में टूटने लगे फूल, बाजार भाव नहीं होने से किसान चिंतित
कोरोना कॉल के बाद से ही फूलों का व्यापार हो रहा चौपट
भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमन्द जिलों तक जाते हैं गुरलां के रंगबिरंगे फूल, मध्यप्रदेश के रतलाम, मंदसौर व इंदौर से महंगे भाव से खरीद कर लाते हैं उन्नत किश्म के फूलों का बीज ।
गुरला (भीलवाडा,राजस्थान/ बद्रिमाली) भीलवाड़ा राजसमन्द राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 758 पर बसे गुरलां गांव में माली समाज द्वारा हर वर्ष फूलों की बम्पर पैदावार की जाती हैं । इन फूलों और फूलों से बनी मालाओं को खरीदने के लिए कई जिलों के व्यापारी गुरलां में आते हैं । और घर बैठे होलसेल रेट पर फूल व मालाएं खरीदकर ले जाते हैं ।
गुरलां संवाददाता बद्रीलाल माली ने बताया कि गुरलां एक कृषि प्रधान गांव होकर यहां हर किश्म की उपज की बम्पर पैदावार ली जाती हैं । जिसमें माली समाज वर्षभर में जिले में अधिकतम फल, फूल व सब्जी इत्यादि की बहुतायत में यहां खेती करते हैं । और उपजने वाली फशलो को होलसेल रेट में मंडियों व रिटेल में बाजारों में बेचकर अपने घर परिवार की आजीविका चलाते हैं ।
यहां होने वाली सिंघाड़े व अमरूद की खेती के लिए भी राज्यभर में गुरलां गांव प्रसिद्ध हैं वही इसे फूलों का गढ़ भी कहा जाता हैं । जहां भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमन्द जिलों के व्यापारी फूलों की खरीददारी करने गुरलां गांव आते हैं । बद्री लाल माली बताते हैं की फूलों की खेती की बारिस होने के साथ ही आषाढ़ व श्रावण मास में बुवाई की जाती हैं जो शारदीय नवरात्रा में पककर तैयार हो जाती हैं जिसकी नवरात्रि, दशहरा व उसके बाद आने वाले दीपावली पर्व पर भी फूलो की बहुतायत में बिक्री होती हैं ।
मगर इस बार तौकते तूफान के बाद हुई बरसात के चलते 2 बीघा खेत को तैयार कर करीब 4 माह पूर्व ही फूलों की बुवाई कर दी गई थी । जिनकी अब शारदीय नवरात्रा लगने के साथ ही तुड़वाई कर फूल मालाएं बनाई जा रही हैं मगर कोरोना कॉल के बाद से ही यह फूल व्यापार चौपट हों गया हैं । श्याम लाल माली ने बताया कि आज शारदीय नवरात्रा का पहला दिन हैं जहां एक फूल माला के दस से पंद्रह रुपये तक मिलते थे जिसकी जगह तीन रूपये से पांच रुपये तक कलकती फूल मालाएं बिक रही हैं जो कि होलसेल मूल भाव से बहुत कम रेट हैं ।
मीरा देवी माली बताती हैं कि यहां माली समाज के लोग फुलो के उन्नत किश्म के बिज मध्यप्रदेश के रतलाम, मंदसौर व इंदौर शहरों से लाते हैं । जबकि तैयार पौधे अजमेर से भी मंगवाए जाते हैं। फूलों का बीज महंगी रेट व उन्नत किश्म का होने के साथ ही मध्यप्रदेश में बहुतायत में मिलता हैं । जिससे एक बीघा जमीन में बोए फूलों के बीज की फसल तैयार होने पर करीबन 1 लाख रुपये तक की पैदावार देते हैं । जिसका चार महीने का सीजन रहता हैं। वर्तमान में तौकते के चलते गुरलां गांव में अच्छी बरसात के साथ ही हजारा गेंदा फूलों की खेतों में जून माह में ही बुवाई शुरू कर दी थी । मगर नवरात्रा के पहले दिन ही फूल माला के भाव पूरे नहीं मिलने से निराशा हाथ लग रही हैं ऐसे में यदि कोरोना की तीसरी लहर आई तो दीपावली पर फूलों की खेती करने वाले परिवार का क्या होगा ।