रीट के महाकुंभ में पुरुषों से पीछे नहीं महिलाएं महिलाओं को खासी परेशानियों को करना पड़ा सामना
लक्ष्मणगढ़ (अलवर,राजस्थान/ गिर्राज प्रसाद सोलंकी) लक्ष्मणगढ़ उपखंड मुख्यालय पर आज रीट परीक्षा को लेकर के महिला परीक्षार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिसमें उनका कहना था कि हम किसी से कम नहीं पुरुषों से एक कदम आगे मिलेंगे पर हमारे ऊपर परिवारिक जिम्मेदारियों कुछ ज्यादा है । हमने परीक्षा से पूर्व उन परीक्षार्थी महिलाओं को देखा जो विभिन्न जगह से पेपर देने के लिए लक्ष्मणगढ़ में आई हुई थी। ऐसे में एक महिला परीक्षार्थी नांगल चौधरी (बहरोड़) से भी आई हुई थी जिसका मात्र एक नवजात बच्चा मात्र 1 महीने का जिसे लेकर के पेपर देने अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंची बेचारी महिला का दिल दिमाग उस बच्चे में था कि मैं ढाई 3 घंटे अंदर पेपर के दौरान अपनी किस्मत को आजमा ऊंगी कहीं मुझे नौकरी मिल जाए दूसरी उस महिला का ध्यान उस बच्चे के ऊपर कहीं मेरा बच्चा भूख प्यास से व्याकुल ना हो जाए दोनों चिंतन अपने दिल मस्तिक में लेकर के और वह इस रीट के महाकुंभ में उतर पड़ी एक एक मिनट एक एक क्षण का इंतजार था अपने बच्चे को छाती से लगा कर के उसे दूध पिलाती रही जब बिल्कुल समय प्रवेश प्रक्रिया का बंद होने लगा तो अपने बच्चे को अपने पति को सुकृत करके और पेपर देने के लिए जा पहुंची यह है नारी शक्ति महिला ने उसी तरह संघर्ष किया जिस तरह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़ी थी और बच्चे को अपने कंधे पर बंद करके तलवार चलाई थी वही लड़ाई इस रीट के महाकुंभ में इन महिलाओं ने तलवार की जगह अपनी कलम चलाई और रीट की लड़ाई में जा कूदी यही है नारी शक्ति महिला ने साफ तौर से बतलाया कि सरकार की माकूल व्यवस्था है बिल्कुल फेल है कोई साधन संसाधन नहीं मिला तो हम प्रातः 4:00 बजे अपने घर से चले हुए हैं धक्के खाते खाते हम इस लक्ष्मणगढ़ में पहुंचे हैं बच्चा भूखा है इसे दूध पिला रही हूं और हमें कुछ खाने पीने के लिए बाजार भी बंद है सरकार को बाजार को खुलवाना चाहिए था बाजार बंद को लेकर परीक्षार्थियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा किसी को फोटोकॉपी करानी होती तो किसी को स्टेशनरी का सामान लेना होता किसी को चाय पानी पीनी होती पर क्या तुगलकी फरमान सब कुछ बंद केवल शराब के ठेके खुले वाह रे प्रशासन तेरे भी खेल निराले इस तरह अपनी व्यथा मीडिया के सामने व्यक्त की और बताया कि सरकार को यह महाकुंभ लगाने के बजाय अर्ध कुंभ लगा देती जिस तरह हाल ही में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा हुई है इससे पहले सैनिकों की भर्ती होती है तो जिले वाइज ले ली जाती है तो इस परीक्षा को भी जिले वाइज ले लेनी चाहिए थी ताकि इतनी भीड़ ना होती ना इतने परीक्षार्थी मरते कितने घरों के चिराग बजे हैं कितने समय से अपनी तैयारी में लगे थे सब पर पानी फिर गया यह सब सरकार की लापरवाही है। इतना कहते-कहते महिला परीक्षार्थी की आंखों से आंसू छलक ने लगे और पति ने हिम्मत बनाते हुए पेपर देने जाने के लिए कहा हिम्मत रखो सब सही होगा।