काम भावना को जीतना ही रास है--प्रभाती लाल शास्त्री
भागवत कथा में रूकमणी विवाह,गोपी संवाद की कथा का किया वर्णन
रैणी (अलवर/महेश चन्द मीना) अलवर के रैणी-उपखंड क्षेत्र के गढ़ीसवाईराम कस्बे के रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छ: वें दिन कथा प्रवक्ता आचार्य प्रभाती लाल शास्त्री ने कथा मे महारास व गोपी संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि काम देव के मान के मर्दन करने के लिए भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात्रि को एक करोड़ गोपियो के साथ रास रचाया। उन्होने कहा कि रास का अभिप्राय रस शब्द से उत्पन्न हुआ है।
काम भावना को जीतना ही रास है। उसके उपरान्त कथा वाचक प्रभाती शास्त्री ने कंस वध की कथा,गोपी उद्धव संवाद का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि उद्धव को अपने ज्ञान पर अभिमान था इसलिए उद्धव के अभिमान को कम करने के लिए वृन्दावन गोपियो के पास भेजा। क्योकि गोपिया धर्म की ध्वजा है। कथा मार्मिक ढंग़ से कहकर सुनाई इस अवसर पर मुरारी जैमन,मनोज खंडेलवाल, प्रहलाद मीना,भरतलाल गुर्जर, बजरंग शर्मा, छाजूसिंह,रामोतार शास्त्री,बल्लू सैन,जगदीश झालानी,रामोतार जाँगिड़ सहित सैंकड़ो महिला पुरूष मौजूद रहे।