राजकीय प्राथमिक विद्यालय के रिकॉर्ड में 32 नामांकन: लेकिन मौके पर एक भी विद्यार्थी नही उपस्थित, गुरुजी बोले-बच्चे आए नहीं
शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी जिले के एक स्कूल की बदहाल तस्वीर,
रसोई घर पर लटका मिला जंग लगा ताला मास्टर जी खोलने में हुए नाकामयाब: महीनों से कमरों में नहीं लगी झाड़ू
उदयपुरवाटी (झुंझुनूं, राजस्थान/ सुमेरसिंह राव) जहां राजस्थान सरकार बेहतरीन शिक्षा और विकास का दावा बार-बार करती नजर आ रही है ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में अपग्रेड जिले झुंझुनू के उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र का एक सरकारी विद्यालय बदहाली के आंसू रो रहा है आपको भी विश्वास करना मुश्किल हो जाएगा कि क्या शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी जिले के सरकारी स्कूल की ऐसी दुर्दशा हो सकती है
हम बात कर रहे हैं उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र के मंडावरा ग्राम पंचायत के हालेड़ा गांव के प्राथमिक विद्यालय की जहां विद्यालय की हालत को देखकर लगता है कि सरकारी पैसे का लगातार दुरुपयोग हो रहा है, जब हमारी टीम मौके पर विद्यालय में पहुंची तो विद्यालय में कोई बच्चा नहीं दिखा इसकी जानकारी जब शिक्षक से लेनी चाही तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में 32 बच्चे नामांकित है लेकिन वहां पर एक भी बच्चा उपस्थित नहीं था जिसे देखकर मीडिया कर्मी भी हक्का-बक्का रह गया, जब शुक्रवार को नामांकित एक भी बच्चे में से विद्यालय में कोई बच्चा नहीं दिखा तो मीडिया कर्मी ने शिक्षक से पूछा तो शिक्षक तो शिक्षक काफी देर तक इधर-उधर झांकने लगा और कहा कि आज बच्चे नहीं आए वही मीडिया कर्मी ने जब अन्य शिक्षकों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया उनके अलावा एक प्रधानाध्यापक भी विद्यालय में है वह भी उपस्थित नहीं है, बच्चों की जानकारी के लिए शिक्षक ने बताया कि प्रत्येक दिन दो चार बच्चे ही विद्यालय आते हैं,, जब इस विषय में दूरभाष पर प्रधानाचार्य से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि आज मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है एक शिक्षक के भरोसे और बिना बच्चों के स्कूल चल रहा है इसे देखकर हर कोई दंग रह जाएगा जिसे देखकर लगता है कि खाली कागजों में महज पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है
हम आपको बता दें जब विद्यालय के कार्यालय को खोल कर देखा गया तो देखकर लगा कि सालों से कार्यालय की सुध नहीं ली गई है स्कूल में साफ सफाई के लिए झाड़ू भी मौजूद नहीं थी वहीं उपस्थित शिक्षक थे रसोईघर के बारे में पूछा तो देखा कि रसोई घर पर भी जंग लगा ताला लटका हुआ है जिसे खोलने में उपस्थित शिक्षक नाकाम दिखाई दिए चाबी और ताले को देखकर लगता है कि वर्षों से रसोई घर का ताला ही नहीं खुला,
विद्यालय की इस बदतर हालत को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि क्या जहां कोई बालक पढ़ने के लिए आता होगा और अध्यापक भी कभी कबार ही नजर आते होंगे कहने का मतलब साफ साफ है कि महीनों के लाखों रुपए खर्च करके सरकारी विद्यालय को संचालित करने चलिए जो स्टाफ और व्यवस्था यहां की गई है वह भी विद्यालय के कमरों में जमी धूल की तरह ही धूल में ही चली जाती होगी जिस विद्यालय में बच्चे नहीं हैं वहां बुशहर कैसे पकाया जाता होगा या नहीं यह बात किसी से छुपी नहीं है क्योंकि जब विद्यालय में उपस्थित शिक्षक रसोई घर का ताला खोलने में असफल हो गए, तो रसोईघर खुलता ही कहा होगा
सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि शिक्षा विभाग के उच्च प्रशासनिक अधिकारी कार्यालय से बाहर निकल कर कभी निरीक्षण के लिए आते हैं या नहीं यदि आते तो संभवत है इस विद्यालय की स्थिति और व्यवस्थाएं बद से बदतर नहीं होती