ना हो परेशान - जानें उत्तराधिकार के प्रावधान :-मंगल चंद सैनी
उदयपुरवाटी (सुमेर सिंह राव)
यदि कोई हिंदू बिना वसीयत के मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसकी संपत्ति के वारिस इस प्रकार तय किए जाएंगे- उत्तराधिकार विधि में दो वर्ग A व B बनाये गये हैं यदि मृतक के वारिस सूची A में उपलब्ध हैं तो वे ही वारिस होंगे यदि सूची A में अंकित वारिसों में कोई नहीं है तो सूची B में दर्ज वारिश हकदार होंगे।सूचि A -पुत्र, पुत्री, विधवा, माता ,पूर्व मृत पुत्र का पुत्र व पुत्री पूर्व में मृत पुत्री का पुत्र व पुत्री पूर्व में मृत पुत्र की विधवा पत्नी, पूर्व मृत पुत्र के पूर्व मृत पुत्र का पुत्र व पुत्री पूर्व मृत पुत्र के पूर्व मृत पुत्र की विधवा पत्नी।
पुत्र के अंतर्गत औरस तथा दत्तक दोनों प्रकार के शामिल हैं, इसी प्रकार पुत्री के अंतर्गत भी औरस व दत्तक दोनों शामिल हैं, निर्वसीयती के यदि एक से अधिक विधवा हैं तो सभी का एक हिस्सा होगा, बिना वसीयत के पुत्र और पत्नियां और माता प्रत्येक एक-एक अंश लेंगे, बिना वसीयत के पूर्व मृत पुत्र या पुत्री के दायादों का प्रत्येक की शाखा में मिलकर एक हिस्सा होगा।
उदाहरण के लिये -एक किसान के एक पुत्र एक पुत्री जीवित है और एक पुत्र व पुत्री की मृत्यु हो जाती है तो संपत्ति में चार हिस्से होंगे यह नहीं होगा की मृत पुत्र या मृत पुत्री के वारिस बराबर का हिस्सा मांगे, पुत्र या पुत्री के समस्त वारिस मिलकर एक हिस्सा लेंगे।
सूची B - यदि सूची A में कोई वारिस नहीं पाया जाता है तो इस सूची को देखेंगे-
1.पिता 2.A पुत्र की पुत्री का पुत्र B पुत्र की पुत्री की पुत्री C भाई D बहन
3.A पुत्री के पुत्र का पुत्र B पुत्र के पुत्र की पुत्रीC पुत्री की पुत्री का पुत्र D पुत्री की पुत्री की पुत्री।
4.A भाई का पुत्र B बहन का पुत्र C भाई की पुत्री D बहन की पुत्री।
5.पिता का पिता , पिता की माता
6.पिता की विधवा , भाई की विधवा
7.पिता का भाई, पिता की बहन
8.माता का पिता , माता की माता
9.माता का भाई , माता की बहन
हिंदू नारी की संपत्ति में उत्तराधिकार
A प्रथमतः (किसी पूर्व मृत पुत्र या पुत्री की संतान के सहित)पुत्रों और पुत्रियों और पति को,
B. पति के दायादों को
C. माता और पिता को
D. पिता के दायादों को
E. माता के दायादो को
इनमें A की सूची में वारिस है तो नीचे नहीं देखेंगे यदि B में वारिस हैं तो नीचे नहीं जाएंगे।
यदि विधवा ने पुनर्विवाह कर लिया है तो पूर्व पति की संपत्ति में उसे अधिकार नहीं मिलेगा।
अवैध संतान अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं हो सकती।
मृत्यु के समय गर्भस्थ बालक को भी जीवित वारिसान के अनुसार अधिकार मिलेगा।
यदि कोई व्यक्ति पिता की हत्या कर देता है तो वह अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार से वंचित हो जाएगा।
- लेखक मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार