ग्रीन सरिस्का क्लीन सरिस्का स्वच्छारणय अभियान से मिला पर्यावरण को संरक्षण
कोटपुतली बहरोड़ जिले के बानसूर।युवा जागृति संस्थान द्वारा पिछले 15 वर्षों के सतत प्रयत्नों से स्वच्छारणय अभियान के 27 चरण पूर्ण किए गए हैं पिछले 15 वर्षों में प्रत्येक 15 दिन के अंतराल पर सरिस्का गेट से सरिस्का वन परिसर व सड़क के रास्तों में फैले कूड़े कचरे को संस्था के स्वयंसेवकों व सरिस्का वन कर्मियों के सहयोग से लगभग 15 से 20 किलोमीटर के क्षेत्र में साफ सफाई का कार्य किया जाता हैं । अभ्यारण में फैले प्लास्टिक युक्त कूड़े कचरे को ट्रैक्टर एवं ट्राली की मदद से इकट्ठा कर उचित निस्तारण किया जाता है । संस्था सचिव गोकुल चंद सैनी ने अभ्यारण की स्वच्छता व वन्य जीवों के संरक्षण को अलग-अलग मुहिमों से जोड़कर अभ्यारण को हरा-भरा बनाए रखने में अपना योगदान दिया है जैसे सोनचिड़िया मेरी बिटिया अभियान ,सेल्फी विद परिंडा अभियान, बेटी के जन्म दिवस व जन्मोत्सव पर पौधारोपण, रक्षाबंधन पर पौधों को राखी बांधकर पौधा रोपण करना संस्था के सराहनीय प्रयास रहे हैं। संस्था द्वारा पिछले 2 वर्षों से सोन चिड़िया मेरी बिटिया अभियान की शुरुआत की गई। अभियान के अंतर्गत सोन चिड़िया अर्थात गौरैया चिड़िया को वापस पर्यावरण में शामिल करना है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से गोरैया चिड़िया वातावरण से विलुप्त होती सी नजर आ रही है अतः संस्थान द्वारा इनके लिए लकड़ी के घोंसले लगाए जा रहे हैं अब तक संस्थान द्वारा 15,000 से अधिक घोंसले लगाए जा चुके हैं लोग इस अभियान से जुड़कर अपने आस-पास के पेड़ पौधों ,घरों की बालकनी आदि में घोंसले लगा रहे हैं। गौरैया ने इन घोंसलों को अपना घर मान लिया है और वे इनमें अपने बच्चे पाल रही हैं अब ये चिड़िया अपना जीवन आसानी से व्यतीत कर वंश वृद्धि कर रही।
सेल्फी विद परिंडा अभियान से मिला पक्षियों को संरक्षण
सेल्फी विद परिंडा अभियान युवा जागृति संस्थान की एक ऐसी पहल है जिससे जुड़कर लोगों के मन में वन्य प्राणियों के प्रति दया भावना उत्पन्न हुई है और वे इन जीवों पर दया कर बेजुबान पक्षियों के लिए दाना और पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ से ही इस अभियान की शुरुआत की जाती है घरों की बालकनी , सरकारी कार्यालयों के पेड़ों में सार्वजनिक स्थानों के छायादार वृक्षों में ये पानी के परिंडे लगाए जाते हैं तथा लोग परिंडा लगाते हुए अपनी फोटो संस्था में शेयर करते हैं जिन्हें सोशल मीडिया व युवा जागृति संस्थान के गांव-वाणी चैनल के रविवार विशेष कार्यक्रम 'आओ लौट- चलें गांव की ओर प्रकृति की ओर 'कार्यक्रम द्वारा लोगों तक पहुंचाया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोग अभियान से जुड़े ताकि यह अभियान राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे। संस्थान के सचिव गोकुल चंद सैनी बताते हैं कि बेटी के जन्म उत्सव व जन्मदिन के अवसर पर एक पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की गई थी बेटी के जन्म दिवस पर पौधा लगाया जाना चाहिए ताकि वातावरण में पेड़ों की वृद्धि और परिवार में बेटी को संरक्षण मिले इस अनोखी पहल से समाज में बेटियों की और वातावरण में पेड़ों की वृद्धि होगी। रक्षाबंधन के अवसर पर संस्थान की टीम द्वारा उदय नाथ धाम अलवर व सरिस्का में अब तक पीपल, बरगद, नीम, गुलमोहर के 25 हजार पौधे ट्री गार्ड द्वारा सुरक्षित कर लगाए जा चुके हैं इन पेड़ों की लंबाई 10 से 15 फीट तक जा चुकी है इन पेड़ों की खासियत है कि इनका जीवनकाल लंबा होता है और ये वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार करते हैं।संस्थान द्वारा वर्षा ऋतु के प्रारंभ से ही सरिस्का वन क्षेत्र में संस्था के वॉलिंटियर्स की मदद से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा ऑर्गेनिक मिट्टी में पौधों के बीज डालकर मिट्टी के लड्डू या बोल तैयार किए जाते हैं जिन्हें सरिस्का के पहाड़ी क्षेत्र में डाला जाता है ताकि ये बीज उगकर पौधे का रूप ले सके। इस प्रकार पिछले 2 वर्षों में 15हजार से अधिक सीड बोल्स द्वारा पौधारोपण किया जा चुका है। संस्थान की टीम द्वारा सरिस्का वन क्षेत्र के जल स्रोतों की साफ-सफाई का कार्य भी संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा किया गया है। ताकि जलीय जीव गंदगी से मरने से बच सके और स्वस्थ रहें आजकल सरिस्का के जल स्रोतों में मगरमच्छ, मछली, सारस आदि जलीय जीव पर्यटकों का मन मोह रहे हैं सरिस्का अभ्यारण में जलीय जीवों में वृद्धि हुई है। सरिस्का प्रशासन व युवा जागृति
संस्थान के साझा प्रयासों से आज सरिस्का राष्ट्रीय अभ्यारण राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बढ़ा रहा है यहां पर्यटक काफी संख्या में बाघों के दर्शन करने आते हैं और उन्हें बाघों के दर्शन हो रहे है। जंगल का वातावरण इतना साफ सुथरा व शांत है कि वन्य प्राणी आनंद पूर्वक अपना जीवन जीते हैं और अभ्यारण में आने वाले पर्यटक इन मनमोहक दृश्यों को देख पाते हैं चाहे फिर वह बाघ हो या फिर मगरमच्छों के बच्चें या फिर हिरणों के झुंड या अन्य कोई जीव। पक्षियों का कलरव विचलित मन को शांत करता है और आज जो यह मनोरम दृश्य हम देख पा रहे हैं इसमें कहीं ना कहीं मनुष्य का ही हाथ है जिसने अपनी बुद्धि शक्ति व समझ से इस उपकारक प्रकृति को बढ़ाने में अपना सहयोग दिया है चाहे वह फिर युवा जागृति संस्थान हो या फिर सरिस्का प्रशासन या आम व्यक्ति।संस्थान द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर स्वच्छता एवं जागरूकता के साथ वृक्षारोपण करने वाले 95 वालंटियर्स को वृक्ष मित्र प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है स्वच्छारणय अभियान के ग्रीन- सरिस्का , क्लीन- सरिस्का अभियान के 22 वें चरण में साफ-सफाई का कार्य कर सिंगल यूज प्लास्टिक को नकारा गया है।अभ्यारण में युवा जागृति संस्थान, सरिस्का प्रशासन, थानागाजी से टीवीएम स्कूल, गोला का बास, दादू कंप्यूटर्स के विद्यार्थियों समेत वॉलिंटियर्स की मदद से लगभग डेढ़ सौ लोगों के सहयोग से साफ- सफाई का कार्य किया गया था इस दौरान युवा जागृति संस्था सचिव गोकुल चंद सैनी व सरिस्का प्रशासन के क्षेत्रीय वन अधिकारी 'जितेंद्र सिंह चौधरी' की उपस्थिति में पौधारोपण का कार्य कर अभ्यारण परिसर में फैले प्लास्टिक युक्त अपशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा कर ट्रैक्टर एवं ट्राली की मदद से बानसूर स्थित प्लास्टिक प्लांट तक पहुंचाया जाता है जहां इस प्लास्टिक को रीसाइकलिंग की प्रक्रिया के लिए आगे भेजा जाता है अब तक लगभग 17 टन प्लास्टिक इकट्ठा कर पहुंचा जा चुका है साथ ही प्लास्टिक से लोगों को दूरी बनाने के लिए समझाया जाता है तथा जूट बैग्स एवं कपड़े के थैले के प्रयोग के लिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है। विद्यार्थियों द्वारा प्लास्टिक मुक्त सरिस्का, अपना सरिस्का थीम पर प्लास्टिक से उत्पन्न खतरों के बारे में बताकर उनसे अपने विचार साझा किए गए कार्यक्रम के अंत में युवा जागृति संस्थान द्वारा स्वच्छता एवं जागरूकता के क्षेत्र में वृक्षारोपण करने वाले 95 वॉलिंटियर्स को वृक्ष मित्र प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है। संस्था सचिव गोकुल सैनी को गत वर्ष 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर वन्य जीव प्रेमी के नाम से देश में जाना गया है उन्हें अमृता देवी वृक्ष मित्र सम्मान से नवाजा गया उनका कहना है कि प्रकृति और मनुष्य का गहरा संबंध है और इस संबंध को यथावत रखने के लिए हमारे आस -पास के पर्यावरण में अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे तथा सिंगल यूज प्लास्टिक को अलविदा कहकर इको फ्रेंडली उत्पादों को अपनाते हुए हमें प्रकृति का सहयोगी बनना होगा।
- बिल्लूराम सैनी