आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कामां पंचकल्याणक महोत्सव के पश्चात कराया प्रतिष्ठित प्रतिमाओं का प्रथम मस्तकाअभिषेक
कामां, (राजस्थान) श्री शांतिनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक महामहोत्सव मोक्ष कल्याण के पश्चात 4 मार्च को दोपहर 4:00 बजे नवीन प्रतिष्ठित प्रतिमा व मूल नायक शांतिनाथ भगवान, मूल वेदी में विराजमान हुए , प्रत्येक प्रतिमाओं का प्रथम मस्तकाअभिषेक व शांति धारा परम पूज्य आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कराया पंचकल्याणक महोत्सव समिति के मुख्य समन्वयक उदयभान जैन बडजात्या ने अवगत कराया की 5 मार्च को प्रातः 7:00 बजे 40 पिच्छियों के साथ परम पूज्य आचार्य श्री ने तीन वेदियों पर विराजमान नवीन प्रतिष्ठित प्रतिमाओं, मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान का महामस्तकाअभिषेक विश्व शांति की मंगल कामनाओं के साथ शांति धारा कराई ।मूल प्रतिमा शांति नाथ भगवान पर वीर चंद, गजेंद्र कुमार, अजय जैन, विकास बडजात्या जयपुर, कामां वालों ने, दूसरी वेदी पर नीरज जैन बडजात्या कामां नृनीय वेदी पर सचिन जैन रेडीमेड वालों ने शांति धारा की ।
इस अवसर पर आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि तीन बेदियों पर भगवान शांतिनाथ मूलायक मूल विराजमान हुए, उन्होंने कहा कि शांति और भक्ति भाव से प्रतिदिन अभिषेक करें, प्राचीन प्रतिमा अतिशय युक्त प्रतिमा, तलघर वाले बाबा भगवान आदिनाथ जी का अभिषेक करें, भगवान कृष्ण की क्रीडा स्थली, अंतिम केवली भगवान जम्बूस्वामी की तपोस्थली बोलखेडा, प्रथम गणिनी श्री विजय मति माताजी, श्रीआदिमती माताजी, मुनि श्री गुणभूषण जी महाराज आदि जैन संतों की जन्मस्थली है , यह ब्रज क्षेत्र है, पांडवों के समय का कामवन के नाम से प्रसिद्ध है, इस मन्दिर जी में शांतिनाथ पंचम चक्रवर्ती कामदेव हुए जो मूल नायक रूप में विराजमान हैं अतः पूज्य श्री ने इस क्षेत्र को कामवन तीर्थ घोषित किया सभी उपस्थित जनों ने करतल ध्वनि से अनुमोदन किया।
इस अवसर पर अशोक बडजात्या जयपुर, धन कुमार जैन कोटा, ज्ञानचंद जैन पाली ,प्रदीप जैन, नरेंद्र जैन, बिट्टू जैन सुरेंद्र जैन, राजेंद्र बडजात्या, रिन्कू बडजात्या अरिहंत बडजात्या,निखिल बडजात्या तीर्थ चैनल, निर्मल कुमार जैन किशनगढ, अजमेर आदि सैकड़ों श्रावक-श्राविकायें उपस्थित थे। महोत्सव समिति के मुख्य संयोजक विकास बडजात्या जयपुर ने बताया कि आचार्य श्री ने पंचकल्याणक महामहोत्सव, विश्व शांति महायज्ञ, महामस्तिकाभिषेक, आदि सभी मांगलिक क्रियायें उतसाह व सफलता के पश्चात विशाल संघ के साथ जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा के लिए पद विहार किया।