राजस्व मामला: छोटे टुकड़े (अपखंडन ) की रजिस्ट्री को करायें नियमित - सैनी
पूर्व में किसी खसरा नंबर के टुकड़े या अपने हिस्से में से कुछ अंश का बेचान ,अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की भूमि का बेचान सवर्ण को करने पर मनाही थी। जिसका मुख्य उद्देश्य भूमि के छोटे टुकड़े होने से बचाना कृषि भूमि की जोत को आर्थिक आधार पर मजबूत बनाना व समाज के कमजोर वर्ग एससी एसटी के लोगों की खेती को साहूकारों के चंगुल से बचाना था। राज्य सरकार द्वारा दिनांक 11-11-1992 को संशोधन कर छोटे टुकड़े या अपने हिस्से में से कुछ अंश के बेचान पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है किंतु 1992 से पहले छोटे टुकड़ों के जो भी विक्रय पत्र वसीयत या दान पत्र बने हुए थे उनका राजस्व रिकॉर्ड में अंकन नहीं हो पा रहा था उनको नियमित करने व राजस्व रिकॉर्ड में अमल करने हेतु राजस्थान काश्तकारी नियम (सरकारी )अध्याय 4क 1में प्रावधान किया है जो इस प्रकार है-
- 1.प्रपत्रC-B 24 DDDD हस्तांतरिति (क्रेता )या उसके वारिस द्वारा उपखंड अधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा जिसमें क्रेता विक्रेता व भूमि का संपूर्ण विवरण दर्ज होगा।
- 2.विक्रय पत्र के समय व वर्तमान समय की जमाबंदी वह खसरा गिरदावरी की प्रति संलग्न करनी होगी। 3.विक्रेता या उसके वारिशान की सहमति भी उक्त प्रपत्र में प्राप्त करनी होगी।
- 4.उपखंड अधिकारी उक्त प्रपत्र आदि की जांच तहसीलदार से प्राप्त करने के बाद परीक्षण कर प्रश्नगत भूमि के वार्षिक लगान का 10 गुना शास्ति लगाते हुए विक्रय पत्र को नियमित करने के आदेश देगा।जिसके आधार पर राजस्व रिकॉर्ड में अमल किया जाएगा। जिस किसान भाई के पास अब भी इस प्रकार की रजिस्ट्री रखी हुई है इस नियम का लाभ अवश्य उठाएं।
लेखन- (मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार)