शहीद बल्लू की याद में ग्रामपावटा में खेली गई डोलची होली, निकाली सजीव झांकियां
महुवा (अवधेश अवस्थी) पावटा की ऐतिहासिक डोलची होली का खेल मानो युद्ध हो रहा हो राजस्थान सरकार के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम पूर्वी जिला प्रमुख अजीत सिंह महुआ प्रधान गीता देवी गुर्जर महुवा प्रेस क्लब अध्यक्ष गोपुत्र अवधेश अवस्थी मुकुल भड़ाना पावटा सरपंच प्रतिनिधि मुकेश शर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में महुवा विधानसभा क्षेत्र के पावटा ग्राम में शहीद बल्लूसिंह की याद में होली खेली गई. शहीद बल्लू की याद में पावटा गांव में करीब 500 साल से डोलची होली की परंपरा को निभा रहे ग्रामीण।
महवा ग्रामीण एकदम नंगा बदन हाथों में चमड़े की डोलची में पानी भरकर दुश्मन की तरह एक दूसरे पर प्रहार करते हजारों से ज्यादा युवा बुजुर्ग एवं बच्चे डोली से पानी के टीके परिहार की छपाक से आवाज और युवाओं की सुर्ख लाल पीठ होली की दूज को यह अनूठा और रणभूमि जैसा मनमोहक नजारा था पावटा गांव स्थित हदीरा चौक में ग्रामीणों ने बताया कि यह ऐतिहासिक मेला बल्लू शाहिद की याद में करीब 500 साल से परंपरा पर अनवरत खेली जा रही है डोलची खूनी होली का है जहां अतिथियों का इशारा मिलते ही दो अलग-अलग धड़ों में बंटी सेनायें एक दूसरे पैर टूट पड़ती हैं मानव अधीर चौक का मैदान रणभूमि और बुजुर्ग व युवा सेवा के तौर पर लड़ते नजर आते हैं इस ऐतिहासिक होली के प्रत्यक्षदर्शी बने करीब दस हजार से अधिक महिला पुरुष जिनसे गांव के रास्ते गली घरों की छत खचाखच भर जाती हैं हदीरा मैदान की सजावट से लेकर कुंडों में लाल रंग का पानी भरे जाने सहित अन्य तैयारियां की जाती हैं हदीरा बाबा मंदिर में पूजा अर्चना के बाद हर एक लड़ाकू को टीका लगाकर डोलची मैदान में भेजा जाता है जैसे ही अतिथियों के साथ गांव के बुजुर्ग पंच पटेल व अतिथियों का इशारा मिलता है रंग से भारी डोलची लेकर खड़े लोग एक दूसरे पैर टूट पड़ते हैं जिनके कारण ऐसा लगता है कि मानो दो अलग-अलग धड़ों में बांटी गई दो सेनाओं का रणभूमि में युद्ध चल रहा हो इस दौरान होली मैदान में खड़े लोग लड़ा के जैसे नजर आए चमड़े की पत्र डोलची में रंग गला पानी भरकर एक दूसरे के ऊपर प्रहार कर पानी की जबरदस्त बौछार से उनका नंगा बदन सुर्ख लाल हो जाता है डोलची के बाद देवर भाभी की प्रसिद्ध होली खेली गई इनके बाद सजे धजे ऊंट घोड़े पर सवार होकर ढोला मारू की सवारी सहित अन्य सजीव झांकियां निकाली गई।
पावटा का हदीरा चौक बन गया रणभूमि युवा बुजुर्ग और बच्चे जुटे डोलची खेलने इस दौरान घर-घर में होती है मेहमान नवाजी पावटा मैं डोलची होली को उत्सव के रूप में मनाया जाता है सभी ग्रामीणों द्वारा इसकी व्यापक तैयारियां की जाने के साथ-साथ कार्यक्रम में आने वाले लोगों की मेहमान नवाजी के साथ खास ख्याल रखा जाता है जहां हर एक घर में दाल बाटी चूरमा खीर मालपुआ वह अन्य व्यंजन बनाए जाने के साथ-साथ लोगों की मेहमान नवाजी की जाती है।
किंवदंती धड अलग होने पर भी दुश्मनों से लड़े थे बल्लू शहीद डोलची नहीं मानने पर छाए थे गांव में संकट के बादल गांव की बुजुर्ग लोग बताते हैं कि करीब 500 सालों से चली आ रही डोलची होली वीर शहीद बल्लू की याद में होली दोज को प्रतिवर्ष मनाई जाती है मान्यता है कि प्राचीन समय में दो पक्षों में झगड़ा हो गया था जिसमें गांव के बल्लू नामक व्यक्ति का सिर धड़ से अलग हो गया लेकिन वे दुश्मनों से लड़ते रहे उन्हें की याद में डोलची होली ग्राम में प्रतिवर्ष खेली जाती है उन्होंने बताया कि एक बार गांव में किसी कारणवश यह होली नहीं खेली गई तो गांव पर संकट के बादल छा गये अकाल के कारण बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गई फिर गांव वालों ने बल्लू शहीद के स्थान पर जाकर मान मनुहार की और हर वर्ष होली खेलने की कसम खाई तब जाकर गांव में खुशहाली आई।
इस दौरान पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह, प्रधान गीता देवी गुर्जर ,महुवा प्रेस क्लब अध्यक्ष गोपुत्र अवधेश अवस्थी ,मुकेश शर्मा पावटा, सरपंच रेनू शर्मा, हरदेवपावटा, पूर्व पंचायत समिति सदस्य विजेंद्र सिंह, बंटी गुर्जर, कप्तान भरत सिंह ,धर्मजीत सिंह, पूर्व सरपंच टीकम सिंह, पूर्व सरपंच हनुमान सहाय जींद, जनक सिंह ,बादाम सिंह, हकीम खेड़ला रामावतार शर्मा ,खावदा संतोष जैन, नंद किशोर तिवारी ,राजेंद्र पाराशर ,लौकी जिंद ,आराम सिंह ठेकेदार लांगडी पुरा, कौशल उपाध्याय, सहित अनेक गणमान्य नागरिक सलेमपुर थाना अधिकारी सहित पुलिस बल मौजूद रहे