गोद लेने या देने के संबंधी कानून के संक्षिप्त प्रावधान
गोद लेने या देने के बारे में काफी लोग विचार विमर्श करते रहते हैं उनकी जानकारी के लिए गोद संबंधी कानून के संक्षिप्त प्रावधान इस प्रकार हैं -
- 1.कोई भी हिंदू पुरुष या महिला जो स्वस्थचित्त हो और अवयस्क न हो दत्तक ग्रहण कर सकते हैं, जीवित पति/ पत्नी की सहमति लेनी होगी एक से अधिक पत्नियां हों तो उनकी भी सहमति ली जाएगी।
- 2.संतान के माता-पिता या संरक्षक जो जीवित हों दत्तक दे सकते हैं, यदि माता-पिता मर चुके हों या उन्हें विकृतचित्त घोषित कर दिया हो या उन्होंने संतान को त्याग दिया हो या उसकी जनकता ज्ञात न हो तो न्यायालय के आदेश से उसका संरक्षक किसी को दत्तक दे सकता है संरक्षक उसके माता-पिता द्वारा नियुक्त या न्यायालय द्वारा घोषित हो।
- 3.दत्तक जाने वाला हिंदू हो पहले से दत्तक न हो अविवाहित हो 15 वर्ष की आयु पूर्ण न की हो।
- 4.पुरुष यदि नारी को गोद ले रहा है तो दत्तक पिता उससे 21 वर्ष बड़ा हो या नारी पुरुष को यदि गोद ले रही है तो दत्तक माता उसकी आयु से 21 वर्ष बड़ी हो।
- 5.दो या अधिक व्यक्ति किसी को गोद नहीं ले सकते।
- 6.गोद लेते समय हवन या होम किया जाना विधि मान्य होने के लिए आवश्यक नहीं है।
- 7.गोद लेने के दिन से पूर्व माता-पिता के समस्त बंधन टूट जाएंगे नये कुटुंब में निहित हो जाएंगे।
- 8.गोद जाने वाले की यदि पहले से संपत्ति है तो उसके स्वामित्व में बनी रहेगी।गोद आने वाला पिता या माता को अपनी संपत्ति अंतरण द्वारा या विल द्वारा बेचान या अन्य कार्यों की शक्ति से वंचित नहीं करेगा।
- 9.पुरुष गोद लेता है और उसकी पत्नी जीवित है तो वह दत्तक माता और यदि दत्तक को एक से अधिक पत्नियों की सहमति से लिया गया है तो सबसे पहले
विवाहित दत्तक माता व अन्य सौतेली माता होगी। यदि कुंवारा या विधुर गोद लेता है और बाद में विवाह करता है तो वह सौतेली मां कहलायेगी यदि विधवा या अविवाहित नारी गोद लेती है और बाद में विवाह कर लेती है तो सौतेला पिता कहलाएगा। - 10.कोई भी विधि मान्य दत्तक लिया गया है दत्तक पिता माता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता गोद वाला अपने कुटुंब में भी नहीं जा सकता।
- 11.दत्तक लेने या देने के दौरान कोई भी प्रतिफल या इनाम न तो प्राप्त करेगा तथा न ही देने का करार करेगा यदि ऐसा करना साबित होता है तो सक्षम न्यायालय द्वारा 6 माह तक कारावास की सजा दी जा सकती है।