विद्यालय पर तालाबंदी की चेतावनी के बावजूद नही जागे जिम्मेदार: अब आग लगने पर कुआ खोदने का प्रयास कर रहा है प्रशासन
श्रीगंगानगर (राजस्थान) श्रीगंगानगर के रायसिंहनगर में प्रशासन द्वारा क्षेत्र की समस्याओं का समय रहते समाधान खोजने की बजाय मौके पर ही समाधान करने के प्रयासों से आग लगने पर कुआं खोदने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। गत दिनों विद्यालयों में हुई तालाबंदी धरना प्रदर्शनों से पूर्व ग्रामीणों द्वारा समस्या के समाधान हेतु अल्टिमेटम दिया जाता रहा है। उसके बाद मजबूरन ग्रामीणों को धरना प्रदर्शन जैसा कदम उठाना पड़ता है। लेकिन प्रशासन द्वारा तालाबंदी धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद समाधान के प्रयास शुरू किये जाते है। समय रहते आम जन की समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रयास शुरू किए जाए तो तालाबंदी व धरना प्रदर्शनों जैसी िस्थति से काफी हद तक बचा जा सकता है। एसा ही मामला ग्राम पंचायत लखाहाकम के गांव 82 आरबी में हड्डा रोड़ी के लिए भूमि आवंटन करने की मांग को लेकर ग्रामीणों द्वारा सोमवार से विद्यालय के तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी एक दिन पहले रविवार को प्रशासन द्वारा पटवार सर्किल के गिरदावर प्रेम कुमार व पटवारी को आधे अधूरे दस्तावेजों के साथ मौके पर भेजा गया। राजस्व रिकार्ड में गांव के आस-पास हड्डा रोड़ी के लिये भूमि तलाशने का प्रयास कर ग्रामिणों की सहमति बनाकर विद्यालय की तालाबंदी टालने का प्रयास किया गया। जबकी ग्रामिणों द्वारा पांच दिन पूर्व विद्यालय के तालाबंदी की चेतावनी दी गई थी। ग्रामीण लिलाधर सिहाग ने बताया कि हड्डारोड़ी के लिये स्थायी जगह आवंटन होने तक मृत पशुओं के निस्तारण हेतु अस्थायी व्यवस्था के लिये जगह चिन्हित करवाने की मांग पूरी होने तक विद्यालय के तालाबंदी कर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उन्हाेने बताया कि गांव आबाद होने के सात दशक बाद भी गांव में हड्डारोड़ी के लिये कोई स्थायी जगह नहीं होने से मजबूरन ग्रामीण मृत पशुओं को गांव से दूर राजकीय विद्यालय के लिये आरक्षित भूमि में डालना पड़ रहा है। जिसको लेकर ग्रामिणों ने विरोध शुरू कर दिया था। हड्डारोड़ी के विवाद के चलते ग्रामिणों को मृत पशुओं को अपने अपने खेतों दबाने पड़ रहे है। लेकिन भूमिहीन व गरीब तबके के खेत नहीं होने से संबधितों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समय रहते ग्रामिणों की समस्या का निस्तारण किया जाता तो विद्यालय की तालाबंदी को टाला जा सकता था। ग्रामीण काशीराम ठोलिया, नेमचंद, महेन्द्र मान, मदन भांभू, भीखाराम भांभु, हरीराम ठोलिया, उमेश भांभू, विनोद खिलेरी, देवकरण ढुंढाड़ा, रायसाहब गोदारा, दौलत राम गोदारा, रामकुमार गोदारा, रणधीर मान, सोहन ज्यानी, मांगीलाल गोदारा, सुगना राम नायक,राजेन्द्र, देवकरण, धर्मपाल सहारण, पृथ्वीराज, सुरेन्द्र ठोलिया, अक्षय ठोलिया सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने प्रशासन से गांव की समस्या को गंभीरता से लेकर हड्डारोड़ी के लिये जगह उपलब्ध करवाने की मांग की है।
संजय बिश्नोई की रिपोर्ट